#KuchhPositiveKarteHain: भीख में मिले पैसों से गरीब बच्चियों की पढ़ाई का उठाते हैं खर्च, 10 बेटियों को भेंट की सोने की बालियां
By राहुल मिश्रा | Published: July 19, 2018 11:51 AM2018-07-19T11:51:25+5:302018-07-19T12:08:42+5:30
नकारात्मक सामाजिक संरचनाओं के मानकों को तोड़ लोकमत न्यूज़ हिंदी इस स्वतंत्रता आपके बीच कुछ सकारात्मक बदलावों को लेकर आया है #KuchhPositiveKarteHain 71 साल 71 कहानियां.
भारत तेजी से आर्थिक और राजनीतिक बदलाव का प्रत्यक्षदर्शी है। किसी भी देश में जब आर्थिक और राजनीतिक बदलाव होते हैं तो उसका सीधा असर समाज पर पड़ता है और ऐसे में सामाजिक संरचनाएं टूटती हैं। इससे हर उम्र और हर तबके के लोगों पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन क्या जो सामाजिक बदलाव हो रहा, वो सही है? जिन हालात में हम रह रहे हैं क्या उससे हम संतुष्ट हैं? क्या समाज के हर तबके तक वो सारी चीज़े पहुंच रही हैं जिसकी उन्हें उम्मीद है? इन सारे सवालों से जूझना ज़रूरी है और गंभीरता से सोचना ज़रूरी है। इसी बदलाव के तहत तथा नकारात्मक सामाजिक संरचनाओं के मानकों को तोड़ लोकमत न्यूज़ हिंदी इस स्वतंत्रता आपके बीच कुछ सकारात्मक बदलावों को लेकर आया है आप इस कैम्पेन #KuchhPositiveKarteHain 71 साल 71 कहानियों में ऐसे लोगों को कहानियां पढ़ सकेंगे जिन्होंने अपने हितों से परे देश हित में काम किया हैं और निरंतर करते जा रहे हैं।
भीख मांग कर बच्चों को किताबें भेंट करते खीमजी भाई-
आज की इस कहानी में हम बात करेंगे अहमदाबाद के मेहसाणा के खीमजी भाई प्रजापति की। कहानी काफी दिलचस्प होने के साथ-साथ समाज सेवा का संदेश भी देती है। हम शुरुआत करते हैं साल 2016 फ़रवरी माह की जब मेहसाणा के ही मागपुरा आँगनवाड़ी स्कूल के सभी कर्मचारी, बच्चे व उनके माता-पिता अपने उस मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो हर साल बच्चों को शिक्षित होता देखने के लिए कॉपी-किताबें व स्कूल ड्रेस डोनेट करता है। इस मेहमान का नाम था खीमजी भाई प्रजापति जोकि कोई बिज़नेसमेन या नौकरीपेशा व्यक्ति नहीं बल्कि भीख मांग कर अपना गुजर करने वाला इंसान है। उन्हीं भीख के पैसों को इकठ्ठा कर खीमजी भाई बच्चों की पढाई के लिए डोनेट किया करते हैं।
एक-एक रुपया जमा कर बच्चियों को दीं सोने की बालियाँ-
उस दिन भी हर साल की तरह कुछ ऐसा ही होने वाला था लेकिन स्कूल के सभी कर्मचारी उस रोज दंग रह गए जब उन्होंने देखा कि खीमजी भाई स्कूल की 10 लड़कियों के लिए सोने की बालियां लेकर पहुंचे थे। स्कूल कर्मचारियों का कहना है कि खीमजी भाई अक्सर ही भीख से मिले पैसों का इस्तेमाल गरीब लड़कियों को उपहार देने में खर्च करते रहते हैं।
सालों से करते आ रहे हैं दान-
यह भी पहला मौका नहीं था जब खीमजी भाई शासकीय स्कूल में गिफ्ट लेकर पहुंचे हों। हालांकि, बेटियों के लिए यह उपहार अनोखा था। खिंभाजी अकसर सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चियों के लिए कपड़े, कॉपी-किताब बतौर उपहार बांटते रहते हैं। इस बार बच्चियों के लिए सोने की बालियां लेकर आना सभी को अचंभित कर देने वाला था।
मंदिर के बाहर मांगते हैं भीख-
खिंभाजी मेहसाणा के सिमंधर स्वामी जैन देरासर मंदिर के बाहर भीख मांगकर अपना गुजर-बसर करते हैं। साल 2015 में खीमजी भाई ने बच्चियों की स्कूल फीस, किताबों और बच्चियों की यूनिफार्म में करीब 80,000 रुपए खर्च किए थे।