#KuchhPositiveKarteHain:केरल की 96 साल की कार्थ्यायनी अम्मा ने किया साबित ‘पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती’

By मेघना वर्मा | Published: August 5, 2018 08:01 AM2018-08-05T08:01:07+5:302018-08-05T08:01:07+5:30

वह राज्य सरकार की साक्षरता अभियान के तहत कक्षा 10 तक अध्ययन करने का दृढ़ संकल्प ले चुकी हैं। उनका लक्ष्य 100% साक्षरता हासिल करना है।

#KuchhPositiveKarteHain: 96 yr old student in alappuzhas literacy mission | #KuchhPositiveKarteHain:केरल की 96 साल की कार्थ्यायनी अम्मा ने किया साबित ‘पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती’

#KuchhPositiveKarteHain:केरल की 96 साल की कार्थ्यायनी अम्मा ने किया साबित ‘पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती’

अगर बात शिक्षा की करें तो किसी भी चीज को सीखने की कोई उम्र नहीं होती। अगर कोई 60 की उम्र में भी डांस सीखना चाहे तो बिल्कुल सीख सकता है। सिर्फ एक्सट्रा कैरिकुलम एक्टविटीज में ही नहीं बल्कि पढ़ाई की भी कोई उम्र नहीं होती। इसी बात की प्रेरणा देते हुए आज हम आपको एक ऐसी ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी 96 की उम्र में बिना समाज की चिंता किए बस अपने पढ़ने के सपने को सच करने में जुट गईं। स्कूल में एडमिशन लेने वाली सबसे ज्यादा उम्र की महिला होने के साथ इन्होंने बहुत से ऐसे लोगों को प्रेरणा दी है जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन समाज क्या सोचेगा, क्या कहेगा के दबाव में रहते हैं। लोकमत की इस पॉजिटिव खबरों का कांरवा पंहुचा है केरल। 

सभी रूढ़िवादों को तोड़कर केरल की इस 96 वर्षीय महिला कार्थ्यायनी अम्मा ने अपनी पढ़ाई को पूरा करने का निर्णय लिया है।  ने इसे साबित कर दिया है। आलप्पुषा राज्य में रहने वाली इस अम्मा ने क्लास चार प्रवेश लिया है। इन्हें संभवतः राज्य में सबसे उम्रदराज छात्र माना जा रहा है। इतना ही नहीं, वह राज्य सरकार की साक्षरता अभियान के तहत कक्षा 10 तक अध्ययन करने का दृढ़ संकल्प ले चुकी हैं। उनका लक्ष्य 100% साक्षरता हासिल करना है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 के जनवरी में, चेपड़ ग्रामा पंचायत के साक्षरता दल के सचिव के साथ बुजुर्गों के लिए सरकारी आवास लक्ष्मी वेदू कॉलोनी गए। लक्ष्मी वेदू कॉलोनी में स्थित अधिकांश महिलाएं साक्षरता अभियान से बचने के लिए दूर चली गईं, जबकि कार्तयायनी अम्मा वह थीं जो खुद को नामांकित करने के लिए आगे आई थीं।

रिपोर्ट के अनुसार, अपनी शिक्षा को पूरा करने का उनका उत्साह कुछ साल पहले शुरू हुआ। जब उसने 60 वर्षीय बेटी अमिनी अम्मा को साक्षरता मिशन के अन्तरर्गत औपचारिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों को पार करते देखा।

वर्तमान में, कार्थ्यायनी अम्मा गणित सीख रही हैं और तीन और मलयालम अक्षरों तक गुणात्मक तालिकाओं को याद रखने में भी व्यस्त है। हालांकि, उनकी उम्र के कारण, उन्हें विशेष सुविधा दी गई है और घर पर ही उनको ट्यूटर की सुविधा भी मिलती है। 

आने वाले वर्ष में, कार्थ्यायनी अम्मा न केवल अपने क्लास के बाकि सब्जेक्ट्स भी पढ़ेगीं बल्कि अंग्रेजी सीखना शुरू कर देगी जिसे उसके पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जाएगा। कार्थ्यायनी अम्मा के बाद, कॉलोनी के 30 बुजुर्ग निवासियों ने भी पाठ्यक्रम के लिए खुद को नामांकित किया।

हालांकि कार्त्यायनी के पिता एक शिक्षक थे, फिर भी वह घर की स्थिती के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई थीं। आज ना सिर्फ वो अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं बल्कि कितने ही लोगों को शिक्षा का महत्व बताते हुए उन्हें प्रेरित भी कर रही हैं। 

Web Title: #KuchhPositiveKarteHain: 96 yr old student in alappuzhas literacy mission

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