पुण्यतिथि विशेषः ...और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे

By आदित्य द्विवेदी | Published: August 25, 2018 10:49 AM2018-08-25T10:49:20+5:302018-08-25T10:49:20+5:30

अहमद फ़राज़ पुण्यतिथि: रूमानी और विरोधी कविता के लिए प्रसिद्ध शायर। पढ़ें उनकी जिंदगी का सफरनामा और कुछ चुनिंदा शायरी...

Death Anniversary Ahmed Faraz: life journey and his Best Shayari | पुण्यतिथि विशेषः ...और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे

पुण्यतिथि विशेषः ...और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे

एक ऐसा शायर जो आंख से आंसू की जगह हसरतें निकाल देता है। जो लोगों के खुदा हो जाने पर बंदगी छोड़ने की बात करता है। जो इश्क पर लिखता है कि हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा। ऐसे रूमानी और विरोधी कविता के लिए मशहूर शायर अहमद फराज़ की आज पुण्यतिथि है। फ़राज़ अपने युग के सच्चे फ़नकार थे। उन्होंने सरकार और सत्ता के भ्रष्टाचार के विरुद्ध हमेशा आवाज़ बुलंद की जिसका खामियाज़ा उन्हें निर्वासन झेलकर भुगतना पड़ा। लेकिन भारत पाकिस्तान के मुशायरों में उन्हें पूरी मोहब्बत से सुना जाता रहा।

अहमद फ़राज़ 12 जनवरी 1931 को कोहाट के एक प्रतिष्ठित सादात परिवार में पैदा हुए उनका असल नाम सैयद अहमद शाह था। अहमद फ़राज़ ने अपना कैरियर रेडियो पाकिस्तान पेशावर में स्क्रिप्ट राइटर के रूप में शुरू किया मगर बाद में वह पेशावर यूनिवर्सिटी में उर्दू के उस्ताद नियुक्त हो गये। 1974 में जब पाकिस्तान सरकार ने एकेडमी आफ़ लेटर्स के नाम से देश की सर्वोच्च साहित्य संस्था स्थापित की तो अहमद फ़राज़ उसके पहले डायरेक्टर जनरल बनाये गये। 

जनरल ज़ियाउलहक़ के शासन को सख़्त निशाना बनाने के नतीजे में उन्हें गिरफ़्तार किया गया। वह छः साल तक कनाडा और युरोप में निर्वासन की पीड़ा सहते रहे। वह अपने दौर के सबसे लोकप्रिय शायरों में से थे। उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। पढ़ें अहमद फराज़ की शायरी की ताक़ीद करते कुछ शेर...

1.

अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए

2.

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

3.

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए

4.

और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया

5.

बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ

6. 

दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे

7. 

हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा
कोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे

8.

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी

9.

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला

10.

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।।

Web Title: Death Anniversary Ahmed Faraz: life journey and his Best Shayari

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