अकोला पूर्व में भाजपा, वंचित बहुजन आघाड़ी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 11, 2019 05:19 IST2019-10-11T05:18:51+5:302019-10-11T05:19:09+5:30

विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ हो चुकी है. जिन्हें मैदान छोड़ना था, वे बाहर निकल गए और जिन्हें चुनौतियों का मुकाबला करना है, वे टिके हैं.

Tri-contest between BJP, deprived Bahujan Aghadi and Congress in Akola East | अकोला पूर्व में भाजपा, वंचित बहुजन आघाड़ी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

अकोला पूर्व में भाजपा, वंचित बहुजन आघाड़ी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन होने के बाद बोरगांव मंजू विधानसभा सीट अकोला पूर्व के नाम से जानी जाने लगी. कांग्रेस, शिवसेना के बाद भारिपा-बमसं ने इस सीट पर कब्जा जमाए रखा था. वर्ष 2014 में महज ढाई हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज कर भाजपा प्रत्याशी रणधीर सावरकर ने भारिपा-बमसं के इस किले में सेंध लगाई थी. बीते चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने स्वतंत्र रूप से अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे लेकिन इस बार दोनों दलों के बीच गठबंधन होने से अकोला पूर्व में भाजपा के रणधीर सावरकर, वंचित बहुजन आघाड़ी के हरिदास भदे और कांग्रेस के विवेक पारसकर के बीच सीधा मुकाबला होगा. इस त्रिकोणीय मुकाबले में अपनी वोट बैंक में इजाफा करने में सक्षम प्रत्याशी ही जीत दर्ज करा पाएगा.  


विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ हो चुकी है. जिन्हें मैदान छोड़ना था, वे बाहर निकल गए और जिन्हें चुनौतियों का मुकाबला करना है, वे टिके हैं. अकोला पूर्व में भाजपा के रणधीर सावरकर, वंचित बहुजन आघाड़ी के हरिदास भदे, कांग्रेस के विवेक पारस्कर, बसपा के शेषराव खड़से, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया-डेमोक्रेटिक के निखिल भोंडे, संभाजी ब्रिगेड पार्टी के प्रफुल्ल उर्फ प्रशांत भारसाकल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-सोशल की प्रीति सदांशिव, बहुजन मुक्ति पार्टी की हर्षल सिरसाट, निर्दलीय अजाबराव ताले, अनिल कपले, अशोक कोलटके, संजय आठवले, महेंद्र भोजने मैदान में हैं. इस चुनाव क्षेत्र पर नजर डालें तो यहां पहले कांग्रेस ने कब्जा जमाए रखा था, जिसे शिवसेना ने तोड़ा और फिर भारिपा-बमसं ने अपनी जीत का परचम लहराया.


वर्ष 2004 में इस सीट पर हुआ मुकाबला बेहद रोचक रहा. शिवसेना ने श्रीरंग पिंजरकर को प्रत्याशी बनाया था. शिवसेना के तत्कालीन दबंग नेता विजय मालोकार टिकट न मिलने से बगावत पर उतर आए और चुनाव मैदान में कूद पड़े. उस समय शिवसेना की करीब 70 हजार की वोट बैंक दो खेमों में बंट गई. विजय मालोकार ने 39341 तो श्रीरंग पिंजरकर ने 30845 मत पाए. इन दोनों की लड़ाई में भारिपा-बमसं के प्रत्याशी हरिदास भदे 44140 मत हासिल कर विजयी रहे. हरिदास भदे ने अपनी जीत का सिलसिला वर्ष 2009 के चुनाव में भी जारी रखा. उन्होंने इस चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी गुलाबराव गावंडे को 14244 मतों के अंतर से परास्त किया.


वर्ष 2014 में भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन न होने के कारण इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ.  भाजपा ने इस सीट से रणधीर सावरकर को प्रत्याशी बनाया था. वहीं शिवसेना ने विधान परिषद सदस्य गोपीकिसन बाजोरिया को मैदान में उतारा था. हैट्रिक करने के उद्देश्य से भारिपा-बमसं के हरिदास भदे एक बार फिर मैदान में थे. इस चुनाव में जीत तो रणधीर सावरकर को मिली लेकिन उनके और भदे के बीच कांटे का मुकाबला रहा. सावरकर को महज 2440 मतों के अंतर से जीत मिली थी. सावरकर को 53678 तो हरिदास भदे को 51238 मत मिले थे. गोपीकिसन बाजोरिया तीसरे स्थान पर रहे.
इस बार भी अकोला पूर्व में मुकाबला त्रिकोणीय है. भाजपा के रणधीर सावरकर, वंचित बहुजन आघाड़ी के हरिदास भदे और कांग्रेस के विवेक पारसकर के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति है. हरिदास भदे पिछले चुनाव में महज ढाई हजार मतों से पीछे थे, इसलिए वे पूरा जोर लगाएंगे. कांग्रेस के विवेक पारसकर को अकोला पूर्व में कांग्रेस का खाता फिर से खोलने का मौका दिया गया है, उस दृष्टि से वे पूरा जोर लगाएंगे. वर्ष 2014 की तुलना में भाजपा की स्थिति थोड़ी अलग है. इस बार शिवसेना से गठबंधन के कारण भाजपा की वोट बैंक में इजाफा होने के आसार हैं, जिसका पूरा लाभ लेने की कोशिश भाजपा के रणधीर सावरकर करेंगे. देखना रोचक होगा कि किसकी कोशिश रंग लाती है?

(शैलेंद्र दुबे)

Web Title: Tri-contest between BJP, deprived Bahujan Aghadi and Congress in Akola East

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