Maharashtra Assembly Election 2019: मोटर व्हीकल कानून, आर्थिक मंदी लेगी बीजेपी-शिवसेना की परीक्षा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 6, 2019 08:10 AM2019-09-06T08:10:30+5:302019-09-06T08:10:30+5:30
लोगों द्वारा मोटर व्हीकल कानून को सामान्य वाहन चालकों के लिए घातक बताया जा रहा है. मोटर व्हीकल कानून के साथ देश में छाई आर्थिक मंदी पर भी जमकर पोस्ट की जा रही है.
गोंदिया। मुकेश शर्मा
विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होने के साथ ही अब सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए मोटर व्हीकल कानून, आर्थिक मंदी जैसे मुद्दे छाए हुए हैं. यही मुद्दे आगामी विधानसभा चुनाव पर सत्तापक्ष के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं.
केंद्र सरकार के तीन तलाक, कश्मीर से धारा 370, 35-ए हटाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा जमकर केंद्र सरकार की तारीफ और देशभक्ति से संबंधित पोस्ट की जा रही थी. लेकिन 1 सितंबर से घोषित मोटर व्हीकल कानून इस समय सोशल मीडिया पर छाया हुआ है.
लोगों द्वारा मोटर व्हीकल कानून को सामान्य वाहन चालकों के लिए घातक बताया जा रहा है. मोटर व्हीकल कानून के साथ देश में छाई आर्थिक मंदी पर भी जमकर पोस्ट की जा रही है.
सोशल मीडिया पर मोदी को साइकिल चलाते हुए दिखाया गया है और लोगों से अब वाहनों के जमाने से पीछे हटकर साइकिल चलाने का आह्वान किया जा रहा है. लोगों द्वारा यह भी सलाह दी जा रही है कि एक तरफ पेट्रोल के दाम आसमान पर है, वहीं दूसरी ओर अब मोटर व्हीकल कानून के कारण भारी भरकम जुर्माना भरने के बजाय साइकिल का उपयोग बेहतर है. जिले में विरोधी पार्टियां मोटर व्हीकल कानून, आर्थिक मंदी एवं बेरोजगारी के मुद्दे की ओर लोगों का कितना ध्यान आकर्षित कर पाती हैं,यह देखने लायक बात होगी.
स्थानीय मुद्दों पर चर्चा नहीं
सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार के स्थानीय मुद्दे पर चर्चा नहीं हो रही है. लोगों की नजर में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के बाद हाल ही में लागू मोटर व्हीकल कानून की ओर है. केंद्र सरकार के अच्छे एवं बुरे दोनों ही फैसलों का असर चुनाव में देखा जा सकता है. किसान कजर्माफी का मुद्दा ज्यादा प्रभावी दिखाई नहीं दे रहा है.
कांग्रेस की महापर्दाफाश यात्र का असर नहीं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की महाजनादेश यात्र के बाद कांग्रेस के चुनाव प्रमुख नाना पटोले द्वारा राज्य में महापर्दाफाश यात्र निकाली जा रही है. लेकिन इस यात्र का जिले में कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है. नाना पटोले को अमरावती में मातोश्री के संदर्भ में दिए गए वक्तव्य के कारण भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.