महाराष्ट्र की सबसे अधिक नदियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. देश भर की प्रदूषित नदी खंडों में से हर सातवां महाराष्ट्र की नदियों में हैं. जलशक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने बताया कि देश की 323 नदियों में कुल 351 खंडों में प्रदूषण की पहचान की गई है. इसमें से 53 महाराष्ट्र में हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा आंकड़ों के हवाले से मंत्री द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में गोदावरी, कालू, कुंडलिका, मीठी, मोरना, मुल्ला, मुथा, नीरा, वेल, भीम, इंद्रायणी, मुला-मुथा, पवना, वैनगंगा, वर्धा और घोड हैं.
इन नदियों की हालात खराब
इसके अतिरिक्त कन्हान, कोलार (मह), कृष्णा, मोर, पातालगंगा, पेधी, पेंगंगा, पूर्णा, तापी, उमार्ेडी, वेन्ना, वाघुर, वेना, बिन्दुसार, बोरी, चंद्रभागा, डरना, गिरना, हीवारा, कोयना, पेहलार, सिना, तितुर, अम्बा, भटसा, गोमई, कान, मंजीरा, पंचगंगा, पंजारा, रंगावली, सावित्री, सूर्या, तानसा, उल्हास, वैतरणा और वशिष्ठि भी प्रदूषित नदियों में शुमार हैं.
एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण निगरानी समितियों के साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) निगरानी केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से नदियों के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है. सीपीसीबी की रिपोर्ट में पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन के स्तर के आधार पर निदयों में प्रदूषण का निर्धारण किया जाता है.