महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस दिल्ली दौरे पर है. महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद दोनों नेताओं का यह पहला दिल्ली दौरा है. राज्य में सियासी उठपटक के बाद दिल्ली आए दोनों नेताओं ने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. इस दौरान नई सरकार में बीजेपी और शिंदे गुट के बीच कैबिनेट बर्थ को विभाजित करने के फॉर्मूले पर चर्चा हुई.
शिंदे कैबिनेट में किसको मिलेगा मंत्रीपद?
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को 11 मंत्री पद रखने की पेशकश की है और सुझाव दिया है कि मंत्रिमंडल में बीजेपी के 29 मंत्री हो. शिवसेना का एकनाथ शिंदे धड़ा गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास रहने देने के पक्ष में है. हालांकि इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक एलान नहीं किया गया है.
गृह मंत्री अमित शाह के साथ चार घंटे चली बैठक: सूत्र
दोनों नेताओं ने शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके बाद महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का दो चरणों में विस्तार होने की संभावना जताई जा रही है. चर्चा यह भी है कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार संभव है.
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह के साथ चार घंटे चली बैठक में नए मंत्रिमंडल के गठन समेत राज्य से जुड़े मामलों पर भी चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक शाह ने दोनों नेताओं से महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात का ब्यौरा लिया. उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री रहे आठ विधायक शिंदे गुट में शामिल हो चुके है ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इन सभी को शिंदे मंत्रिमंडल में एक बार फिर मौका मिल सकता है.
दिल्ली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी शनिवार शाम मुलाकात करेंगे. इसके बाद सीएम शिंदे निजी विमान से पुणे के लिए रवाना होंगे.
राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी समर्थित शिंदे गुट को आमंत्रित करने को लेकर महाराष्ट्र के राज्यपाल के 30 जून के फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी. वहीं उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि उनसे पार्टी का चिन्ह धनुष बाण कोई नहीं ले सकता.
शिंदे ने 4 जुलाई को सदन के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित किया था. 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 ने इसके खिलाफ मतदान किया था.