कोविड से जुड़े घोटाला मामले में आदित्य ठाकरे के करीबी अधिकारी समेत अन्य के खिलाफ ईडी ने की कार्रवाई, लगभग 15 परिसरों पर छापेमारी की
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: June 21, 2023 01:53 PM2023-06-21T13:53:15+5:302023-06-21T13:54:34+5:30
ईडी का कार्रवाई में शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे के करीबी सहयोगी सूरज चव्हाण और सांसद संजय राउत के करीबी दोस्त सुजीत पाटकर का घर भी शामिल था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई के आसपास के इलाकों में लगभग 15 परिसरों पर छापेमारी की।
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार, 21 जून को कोविड फील्ड अस्पताल घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिवसेना यूबीटी नेताओं के करीबी आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल के परिसरों की तलाशी ली। ईडी का कार्रवाई में शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे के करीबी सहयोगी सूरज चव्हाण और सांसद संजय राउत के करीबी दोस्त सुजीत पाटकर का घर भी शामिल था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई के आसपास के इलाकों में लगभग 15 परिसरों पर छापेमारी की। आईएएस अधिकारी संजीव जायसवाल पहले ठाणे म्युनिसिपल कमिश्नर थे और कोविड काल में वे बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर थे।
इस मामले की जांच कर रही ईडी ने जनवरी में बीएमसी आयुक्त आई एस चहल का बयान दर्ज किया था और उनसे फील्ड अस्पताल अनुबंध आवंटन प्रक्रिया और अन्य संबंधित विवरणों को स्पष्ट करने को कहा था। इससे पहले ईडी ने शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत के करीबी दोस्त सुजीत पाटकर और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि हेल्थकेयर क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद पाटकर को महामारी के दौरान मुंबई में कोविड फील्ड अस्पताल के साथ अनुबंध मिला था। साल 2022 में भाजपा नेता किरिट सोमैया की की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, आजाद मैदान पुलिस स्टेशन ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (एलएचएमएस), सुजीत पाटकर, उनके तीन सहयोगियों - हेमंत गुप्ता, संजय शाह, राजू सालुंके के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया था।
इन चारों पर महामारी के दौरान कोविड फील्ड अस्पतालों के प्रबंधन के लिए धोखाधड़ी से बीएमसी अनुबंध हासिल करने का आरोप है। मामला दर्ज करने के बाद, पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों की जांच के लिए इसे ईओडब्ल्यू को स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद ईडी ने जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने अपनी शिकायत में कहा था कि लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज को हेल्थकेयर क्षेत्र का कोई अनुभव न होने के बावजूद बीएमसी ने उच्च दरों पर ठेके दिए। एलएचएमएस एक अपंजीकृत फर्म थी और उसे स्वास्थ्य सेवा का कोई अनुभव नहीं था। आरोप है कि बीएमसी ने कथित तौर पर पहले ठेके दिए और एक साल बाद कंपनी के साथ संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए।
बता दें कि कोविड महामारी के दौरान जून 2020 में, विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा खुले स्थानों में कई फील्ड अस्पतालों का निर्माण किया गया था। हालांकि बीएमसी ने निर्माण पर कोई पैसा खर्च नहीं किया था लेकिन बीएमसी इन फील्ड अस्पतालों के प्रबंधन और अपने खर्च पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार था।