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मध्य प्रदेश: हाईकोर्ट ने इंदौर कलेक्टर और निगमायुक्त को अवमानना याचिका पर किया जवाब-तलब

By मुकेश मिश्रा | Updated: August 11, 2023 17:51 IST

एडवोकेट मनीष यादव ने बताया कि शहर में पेयजल की समस्या को लेकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग के द्वारा वर्ष 2015 में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसे न्यायालय द्वारा वर्ष 2016 में स्वीकार करते हुए निगम से जवाब माँगा था। 

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ठळक मुद्देपेयजल की समस्या को लेकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग के द्वारा वर्ष 2015 में एक जनहित याचिका दायर की थीजिसे न्यायालय द्वारा वर्ष 2016 में स्वीकार करते हुए निगम से जवाब माँगा थानिगम ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था अमृत योजना 2019 तक शहर की जनता को रोजाना स्वच्छ जल दिया जाएगा

इंदौर: उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी और निगमायुक्त हर्षिका सिंह को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।

एडवोकेट मनीष यादव ने बताया कि शहर में पेयजल की समस्या को लेकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग के द्वारा वर्ष 2015 में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसे न्यायालय द्वारा वर्ष 2016 में स्वीकार करते हुए निगम से जवाब माँगा था। 

निगम ने याचिका की सुनवाई के दौरान अमृत योजना 2019 तक पूर्ण कर शहर की जनता को रोज सुगम जल वितरण किया जाएगा और शहर की जनता को 24 घंटे साफ नर्मदा का जल मिलेगा। यही नहीं गलत तरीके से लगे सभी निजी बोरिंग और ट्यूबवेल हटाए जाएंगे।

सात साल बीतने के बाद भी निगम न तो पूरे शहर को पीने का साफ पानी दे पा रहा है और न ही अवैध बोरिंग वा ट्यूबवेल हटा पाया। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की। 

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि कोर्ट के आदेश के 7 साल बीत जाने के बाद भी शहर की पेयजल व्यवस्था ठीक नही है।कई जगह टैंकर से जल वितरण करना पड़ रहा है।

महापौर 24 घंटे जल देने की बात कर रहे है, लेकिन शहर में कही भी ऐसी व्यवस्था नही है।कई जगह गन्दे पानी की समस्या है। नल एक दिन छोड़कर आते हैं बिल पूरे महीने का लिया जाता है।न्यायालय के आदेश का पालन नही किया जा रहा है।  

अमृत योजना 2019 तक पूरी हो जानी थी लेकिन 2023 तक भी पूरी नही हुई। इन तर्कों से सहमत होकर न्यायमूर्ति शुश्रुत धर्माधिकारी एवम न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की कोर्ट ने कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी और निगमायुक्त हर्षिका सिंह से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

टॅग्स :इंदौरMadhya Pradesh High Court
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