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नवजात बच्ची के साथ लॉकडाउन का सितम झेलते हुए गांव पहुंची जरीना, आपबीती सुनकर उड़ जाएंगे आपके होश

By भाषा | Updated: May 24, 2020 14:02 IST

अपनी नवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से ट्रक में सवार होकर यहां स्थित अपने गांव के लिए चली एक महिला लॉकडाउन की कठिनाइयों को झेलते हुए अंतत: कामयाबी मिली। जरीना ने रविवार को बताया कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बसे जिले के अपने नौरंगा गांव पहुंच चुकी है और अब पूरी तरह सामान्य है।

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ठळक मुद्देनवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से ट्रक में सवार होकर यहां स्थित अपने गांव के लिए चली एक महिला लॉकडाउन की कठिनाइयों को झेलते हुए अंतत: कामयाबी मिली।जरीना ने रविवार को बताया कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बसे जिले के अपने नौरंगा गांव पहुंच चुकी है और अब पूरी तरह सामान्य है।

बलिया। अपनी नवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से ट्रक में सवार होकर यहां स्थित अपने गांव के लिए चली एक महिला लॉकडाउन की कठिनाइयों को झेलते हुए अंतत: कामयाबी मिली। जरीना ने रविवार को बताया कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बसे जिले के अपने नौरंगा गांव पहुंच चुकी है और अब पूरी तरह सामान्य है। दरअसल जरीना ने लॉकडाउन अवधि में ही एक बच्ची को जन्म दिया था। उसने बताया कि वह अपने पति जावेद और देवर अख्तर के साथ हरियाणा से ट्रक में बैठकर बैरिया थानाक्षेत्र के चिरइया मोड़ पर उतरी।

उसके साथ उसकी दो साल की बेटी जोया और दस दिन पहले जन्मी उसकी दूसरी बच्ची थी। जरीना ने बताया कि नवजात बच्ची लगातार रो रही थी लेकिन वह उसे चुप करा पाने में असमर्थ थी। गांव के लिए साधन के इंतजार में सड़क किनारे बैठी जरीना ने पत्रकारों और स्थानीय लोगों को आपबीती सुनायी जिसके बाद स्थानीय लोगों ने उसे उसके गांव तक पहुंचाने में मदद की और अंतत: वह अपने घर पहुंचने में सफल रही । उसने बताया कि लॉकडाउन में ही 10 दिन पहले उसकी दूसरी बेटी का जन्म हुआ।

वह अभी प्रसव पीड़ा से उबर भी नहीं सकी थी कि उसके पति ने जानकारी दी कि कम्पनी लॉकडाउन के कारण बन्द हो गयी है। पति से उसे जानकारी हुई कि कम्पनी में काम करने वाले मजदूरों ने किराये पर एक ट्रक किया है और सभी मजदूर ट्रक से ही गांव जा रहे हैं। जरीना ने बताया कि उसका पति हरियाणा में टाइल्स बनाने वाली कम्पनी में काम करता था और कम्पनी बन्द होने के कारण आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई थी। हरियाणा में रह पाना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा था। उसने बताया कि किसी तरह उसने और उसके पति ने तीन लोगों का ट्रक का सात हजार रुपये किराया दिया और ट्रक से यहां तक पहुंची और फिर स्थानीय लोगों की मदद से गांव तक पहुंच पाई।

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