लखनऊ: नागरिकता कानून को लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा पर योगी सरकार का एक्शन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट को नागवार गुजरा था। प्रशासन द्वारा हिंसा के आरोपियों का पोस्टर लगवाने के मामले को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने स्वत: संज्ञान लेकर पोस्टर हटाने के आदेश दिए थे। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शन करने वालों के पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को प्रदर्शनकारियों के पोस्टर हटाने के आदेश दिए थे।
दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे। इस दौरान उपद्रवियों ने सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों की पहचान की थी और नुकसान की भरपाई करने के लिए होर्डिंग लगाए थे।
Uttar Pradesh Adv General Raghvendra Singh: Uttar Pradesh Govt has knocked the doors of Supreme Court challenging the Allahabad High Court’s order to immediately remove the posters of those accused persons allegedly involved in vandalism during the CAA protests in the State pic.twitter.com/GkpVwqw2q4— ANI (@ANI) March 11, 2020
बता दें कि सोमवार को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिंग्स हटवाएं। साथ ही इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें। हाई कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया था।
बता दें कि हाई कोर्ट के इलाहाबाद बेंच ने इस मसले पर योगी सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि किस नियम के तहत आरोपियों के पोस्टर लगाए गए। कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और डीएम को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस मामले में सुनवाई की थीं। याद दिला दें कि बीते साल 19 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसा हुई थी जिसमें सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया था। कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सीएम योगी ने दंगाईयों से वसूली का ऐलान किया था। कई जिलों में वसूली के नोटिस जारी किए जा चुके हैं। योगी सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ कई लोग कोर्ट पहुंच गए थे।