हैदराबाद(तेलंगाना), 14 मार्च राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि जब दुनिया विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ रही है, ऐसे में सतत प्रयासों के जरिए मानव और प्रकृति के बीच संतुलन बहाल करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘योग के अनुसार स्वास्थ्य की अवधारणा शारीरिक कल्याण से परे है। योग महज किसी धर्म, क्षेत्र या लोगों से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया और मानवता से जुड़ा हुआ है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि योग समग्र रूप से स्वस्थ होने के लिए एक दृष्टिकोण है जिसमें शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती शामिल है। उन्होंने कहा कि इससे मनोवैज्ञानिक तनाव और शारीरिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च स्तर की सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि यह आध्यात्मिक शांति का मार्ग भी है।
कोविंद ने कहा, ‘‘ऐसे में जब दुनिया विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रगति हासिल करने के लिए आगे बढ़ रही है, सतत प्रयासों के माध्यम से मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बहाल करने की आवश्यकता है। योग प्राकृतिक वातावरण के अनुसार से एक सतत और स्वस्थ जीवन शैली का मार्ग दिखाता है।’’
कोविंद ने ‘हर्टफुनेस इंस्टीट्यूट (श्री राम चंद्र मिशन) एवं अन्य की पहल ‘योग फॉर यूनिटी एंड वेलबिइंग’ की शुरुआत के मौके पर यह संदेश दिया। कार्यक्रम का आयोजन डिजिटल तरीके से किया गया।
कोविंद ने कहा कि योग आध्यात्मिकता का एक महान विज्ञान है, जिसे दुनिया को भारत का उपहार माना जाता है। इसके सार्वभौमिक लाभ हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जब भारत ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव रखा, तो उसे विभिन्न देशों का समर्थन मिला।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव कहता है कि योग विश्व जनसंख्या के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
उन्होंने उस अपार उत्साह को याद किया, जिसके साथ योग का पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस 2015 में पूरे विश्व में मनाया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से योग के प्रभाव को तब महसूस किया, जब उन्होंने सूरीनाम में 2018 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया था।
उन्होंने कहा कि सूरीनाम के राष्ट्रपति और उन्होंने साथ में योग के कई 'आसन' किए थे। उन्होंने कहा कि इस मौके पर उपस्थित बड़ी संख्या में लोगों ने योग के लिए जबरदस्त उत्साह दिखाया था।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र, पतंजलि योगपीठ, श्री राम चंद्र मिशन और अन्य के सहयोगी प्रयासों की प्रशंसा की, जो इस पहल को आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने विश्वास जताया कि यह कार्यक्रम अपने उद्देश्यों में सफल होगा और दुनिया भर में 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश पहुंचेगा।
योग गुरु रामदेव, हर्टफुलनेस के कमलेश पटेल (दाजी) और अन्य ने भी कार्यक्रम में योग पर अपने विचार रखे।
हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट ने एक विज्ञप्ति में कहा कि एकजुटता के लिए योग 100-दिवसीय कार्यक्रम है, जो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2021 के समारोहों तक चलेगा।
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