मुंबई, 18 सितंबर मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की पत्नी और दो बेटियों को निजी क्षेत्र के ऋणदाता डीएचएफएल से जुड़े एक मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने कहा कि उन्होंने प्रथमदृष्टया अवैध गतिविधियों से बैंक को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। अदालत ने यह भी कहा कि तीनों महिला होने या छोटे बच्चों की मां होने के नाम पर सहानुभूति की पात्र नहीं हैं।
इस मामले में जांच एजेंसी के आरोप-पत्र में कपूर की पत्नी बिंदू और बेटियों राधा खन्ना तथा रोशनी को आरोपी बनाया गया है। अदालत ने आरोप-पत्र का संज्ञान लेते हुए तीनों को तलब किया था।
तीनों अदालत में पेश हुईं और उन्होंने अपने वकीलों विजय अग्रवाल तथा राहुल अग्रवाल के जरिए जमानत के लिए आवेदन दिया। उनके अधिवक्ताओं ने अदालत में कहा कि बिंदू, राधा और रोशनी को गिरफ्तार किये बगैर ही आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया और उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार वे जमानत पाने की हकदार हैं।
विजय अग्रवाल ने दलील दी कि अदालत ने उनकी मुवक्किलों को समन भेजने के अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है जिससे स्पष्ट होता है कि उनकी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है।
हालांकि विशेष न्यायाधीश एस यू वाड़ेगांवकर ने उनकी जमानत याचिका अस्वीकार करते हुए उन्हें 23 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि जेल अधीक्षक बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के आरोपियों की हिरासत स्वीकार नहीं करेंगे, जिसके बाद अदालत ने जांच एजेंसी को तीनों को रिपोर्ट मिलने तक न्यायिक हिरासत में रखने की अनुमति दी।
न्यायाधीश ने कहा कि कपूर और उनके परिवार ने कॉर्पोरेट ऋण दर्शाकर बेईमानी से अवैध राशि प्राप्त की और इस तरह यस बैंक को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने दिया।
उन्होंने कहा कि यस बैंक और डीएचएफएल के कई लाख जमाकर्ताओं और शेयरधारकों के साथ धोखाधड़ी हुई जिसकी वजह से देश की बैंकिंग साख को गंभीर झटका लगा।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, कपूर ने डीएचएफएल के कपिल वधावन के साथ आपराधिक साजिश रची थी। इसी से संबंधित एक मामले में कपूर जेल में बंद हैं और उस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।