नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिल गई है। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर को 2 0 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।
अदालत ने ये जमानत देते हुए उन पर कुछ शर्तें लागू की है जिसके अनुसार, वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे, गवाह को प्रभावित नहीं करेंगे और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
इससे पहले आज साम चार बजे तक के लिए कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे अब सुनाया गया है।
इससे पहले 18 जुलाई को भाजपा सांसद को अंतरिम जमानत दी गई थी जो कि 20 जुलाई तक के लिए थी। वहीं, विनोद तोमर को भी अंतरिम जमानत मिली थी। इसके बाद कोर्ट ने नियमित जमानत पर 20 तारीख को सुनवाई करने का फैसला किया था।
गौरतलब है कि कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि वह जमानत अर्जी का न तो विरोध कर रहे हैं और न ही समर्थन कर रहे हैं। सुनवाई 12:30 बजे शुरू हुई और तमाम दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने शाम 4 बजे अपना फैसला सुनाने का फैसला किया।
अदालत ने 18 जुलाई को मामले में बृज भूषण और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को 2 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह ने व्यक्तिगत आधार पर सिंह को राहत दी थी।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने गुरुवार को कहा, "मैं कुछ शर्तों के साथ 25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे रहा हूं।"
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सरकारी वकील ने कहा कि अगर बृज भूषण और तोमर को राहत दी जाती है तो अदालत को कड़ी शर्तें लगानी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जमानत का विरोध कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ''मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही समर्थन कर रहा हूं। आवेदन को कानून और अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार निपटाया जाना चाहिए।
विपक्षी वकील ने जमानत का किया विरोध
जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी बहुत प्रभावशाली है। उन्होंने कहा, ''जमानत नहीं दी जानी चाहिए अगर इसकी अनुमति दी जाती है, तो कड़ी शर्तें लगाई जानी चाहिए। समय-समय पर गवाहों से संपर्क किया गया है, हालांकि कोई खतरा नहीं है।"
बृजभूषण शरण सिंह 12 सालों से कुश्ती महासंघ के प्रमुख रहे हैं और 6 बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, महिला पहलवानों द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ केस दर्ज किया और ये कानूनी कार्रवाई में फंस गए। बृजभूषण सिंह के खिलाफ कुल 21 गवाहों ने अपने बयान दिए हैं, जिनमें से छह ने सीआरपीसी 164 के तहत अपने बयान दिए हैं।
दिल्ली पुलिस ने 15 जून को आरोपपत्र दाखिल किया
महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस ने 15 जून को सिंह और तोमर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) के तहत आरोप पत्र दायर किया था। और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी)।
इससे पहले, भाजपा सांसद के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई थीं। एक यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO) अधिनियम के तहत एक नाबालिग पहलवान के मामले में दायर की गई थी। नाबालिग पहलवान ने बाद में अपने बयान को वापस ले लिया और दूसरे पहलवानों के कहने पर बयान देने की बात कही।