दुनिया भर में छाए कोरोना संकट के बीच आज विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) है। इसे हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पूरी दुनिया के सांस्कृतिक विरासतों, स्मारकों और स्थलों की विविधता और प्रासंगिकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
यह दिन इस बात पर भी विचार करने का होता है कि एतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाए रखने के लिए कितनी कोशिश हो रही है। साथ ही ये दिन इस ओर भी ध्यान दिलाता है कि हमारी धरोहरों को कितने रखरखाव की जरूरत है। विश्व धरोहर ऐतिहासिक या पर्यावरण दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं।
World Heritage Day: कब हुई थी विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत
इंटरनेशनल काउंसिल ओन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने साल 1982 में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में घोषित किया। उसी साल यूनेस्को ने भी इसे मान्यता दी। हर साल इस दिवस की अलग-अलग थीम होती है। यूनेस्को के अनुसार दुनिया भर में आज 1121 वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स मौजूद हैं। इसमें 869 सांस्कृतिक, 213 प्राकृतिक और 39 दोनों के मिश्रण हैं।
World Heritage Day: क्या है विश्व धरोहर दिवस का इस बार का थीम
इस बार विश्व धरोहर दिवस पर कोरोना का साया है। भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां सभी ऐतिहासिक स्मारक 17 मार्च से बंद हैं। ऐसा पहली बार है कि 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस पर स्मारकों में पर्यटकों की चहलकदमी नहीं दिखेगी। दरअसल दिल्ली का लालकिला, कुतुबमीनार और हुमायूं का मकबरा यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हैं। इस बार का विश्व धरोहर दिवस की थीम साझा संस्कृति, साझा विरासत और साझा जिम्मेदारी है।