Work From Home: कोरोना काल में समय से पहले लॉगइन फिर देर तक काम, भारतीयों के लिए 32 मिनट लंबा हो गया है दिन

By विनीत कुमार | Published: November 29, 2020 08:04 AM2020-11-29T08:04:10+5:302020-11-29T08:26:18+5:30

कोरोना संकट के इस दौर में 'वर्क फ्रॉम होम' की रवायत आई तो कई लोगों ने इसे सराहा। अब हालांकि सर्वे में ये बात सामने आई है कि लोगों को इस नए सिस्टम में तय समय से ज्यादा देर तक काम करना पड़ रहा है। ये हाल पूरी दुनिया का है।

Work from home in corona pandemic has made workday of indian peole longer survey reveals | Work From Home: कोरोना काल में समय से पहले लॉगइन फिर देर तक काम, भारतीयों के लिए 32 मिनट लंबा हो गया है दिन

कोरोना काल में 'वर्क फ्रॉम होम' के दौरान ज्यादा काम कर रहे हैं लोग: स्टडी (फाइल फोटो)

Highlights'वर्क फ्रॉम होम' को लेकर कार्यालयों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली कंपनी एटलासियन ने 65 देशों का किया है सर्वेइजरायल के लोग औसतन हर दिन अपने ऑफिस के काम में 47 मिनट ज्यादा खर्च कर रहे हैंअमेरिका-ऑस्ट्रेलिया का भी ऐसा ही हाल, भारत में औसतन 32 मिनट ज्यादा समय ऑफिस के काम पर खर्च कर रहे लोग

कोरोना महामारी ने कई मायनों में दुनिया भर के लोगों की जीवनशैली को बदल दिया है। इसमें रहन-सहन से लेकर कामकाज और व्यवसाय तक शामिल हैं। इसी बीच एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि महामारी में घर से काम के काम (Work from Home) करने की रवायत शुरू होने के बाद भारतीयों को तय समय से ज्यादा लंबे समय तक काम करना पड़ रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न कार्यालयों के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली कंपनी एटलासियन ने 65 देशों के सर्वे के बाद एक आंकड़ा पेश किया है। इसमें ये बात सामने आई है कि दुनिया के कई देशों में वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोग तय समय से पहले काम शुरू कर रहे हैं और फिर देर तक इसे जारी रखे रहते हैं। 

इजरायल के लोग अपने कार्य दिवस पर औसतन 47 मिनट ज्यादा समय ऑफिस से जुड़े कामों पर खर्च कर रहे हैं। वहीं, भारतीय साल की शुरुआत के मुकाबले अप्रैल और मई में भारतीय 32 मिनट ज्यादा काम पर खर्च करते नजर आए। यही हाल ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी लोगों का भी है। 

Work from Home में आने-जाने का समय बचा लेकिन बहुत फायदा नहीं

सर्वे के अनुसार वर्क फ्रॉम होम से लोगों के ऑफिस आने-जाने का समय जरूर बचा है लेकिन इसके बावजूद वे अपने लिए उतना ज्यादा समय नहीं बचा पा रहे हैं, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।

हैदराबाद के एक आईटी प्रोफेशनल पुनीत श्रीवास्तव ने कहा कि पहले वर्क फ्रॉम होम आराम की बात थी इस मौके का इस्तेमाल कई अन्य कामों को खत्म करने के लिए भी किया जा सकता था। इसमें डॉक्टर से मिलना या बच्चे के स्कूल जाना जैसे काम किए जा सकते थे। पुनीत के अनुसार, 'अब मैं डेस्क से बंध गया हूं। हमें हमेशा जैसे मीटिंग के लिए तैयार रहना पड़ता है।'

दोपहर और शाम में सबसे अधिक काम

स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान सुबह और शाम में सबसे अधिक अपना काम समाप्त करते हैं जबकि दोपहर में इसमें गिरावट होती है। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि कर्मचारी घर से काम करने की छूट के दौरान समय को लेकर भी लचीलापन दिखा रहे हैं।

हालांकि, कई इसे पहले के समान ही लंच या फ्री-टाइम से भी जोड़ कर देख रहे हैं। ये दिखाता है कि एक महामारी ने कैसे घर और ऑफिस के बीच की सीमा को मिटा दिया है।

स्टडी में ये भी खुलासा हुआ है कि कई लोग अपने काम के समय और व्यक्तिगत समय में अंतर करने की समस्या से जूझ रहे हैं। इस दौरान वे बिना रूक लंबे समय तक काम भी कर रहे हैं। सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने बताया कि महामारी के इस दौर में काम और अपने लिए समय को लेकर अंतर करने में परेशानी हो रही है। 

वहीं, 23 फीसदी लोगों ने कहा कि महामारी के दौरान काम खत्म होने के बाद के बचे घंटों में भी वे पहले से कहीं ज्यादा अपने काम के बारे में ही सोच रहे हैं। पश्चिमी दिल्ली की एक कॉरपोरेट एग्जक्यूटीव के अनुसार वर्क फ्रॉम होम के मायने अब 'वर्क फुल आवर्स' हो गया है। वो 12-12 घंटे की शिफ्ट कर रही हैं और रात के डिनर के बाद कई बार आधी रात 2 बजे तक रिपोर्ट फाइल करती रहती हैं।

उन्होंने बताया कि पहले ऑफिस में आने-जाने, टी-टाइम और लंच के लिए भी समय मिल जाता था। वर्क फ्रॉम होम में ऐसे ब्रेक जैसी कोई बात नजर नहीं आती है।

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