‘विजेता’ किसान घर लौटने से पहले प्रदर्शन स्थलों पर गीत गा रहे हैं और मिठाइयां बांट रहे हैं

By भाषा | Updated: December 9, 2021 21:23 IST2021-12-09T21:23:28+5:302021-12-09T21:23:28+5:30

'Winner' farmers sing songs and distribute sweets at demonstration sites before returning home | ‘विजेता’ किसान घर लौटने से पहले प्रदर्शन स्थलों पर गीत गा रहे हैं और मिठाइयां बांट रहे हैं

‘विजेता’ किसान घर लौटने से पहले प्रदर्शन स्थलों पर गीत गा रहे हैं और मिठाइयां बांट रहे हैं

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर तीन कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा किसानों की अन्य मांगें पूरी कर लिए जाने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान विजेता की तरह जश्न मना रहे हैं, मिठाईयां बांट रहे हैं तथा गीत गा रहे हैं।

एक वर्ष से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान प्रदर्शन जहां देश-दुनिया में लगातार सुर्खियों में रहा, वहीं इस दौरान कई विवाद भी पैदा हुए।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा करने के बाद कुछ किसान घर लौट गए हैं, वहीं कुछ किसान 11 दिसंबर का विजय मार्च के बाद घर लौटेंगे। प्रदर्शन के दौरान उन्हें दिल्ली की कड़ाके की सर्दी, भीषण गर्मी, पुलिस के साथ संघर्ष जैसे कठिनाईयों का सामना करना पड़ा तथा आम लोगों ने भी आंदोलन से रोजाना आने-जाने में होने वाली दिक्कतों की शिकायत की।

सिंघू बॉर्डर पर किसान हरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘आज रात हम नहीं सोएंगे। हम जीतकर घर लौट रहे हैं।’’

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बृहस्पतिवार को जैसे ही घोषणा की कि आंदोलन समाप्त होगा और 11 दिसंबर को विजयी मार्च करने के बाद घर लौटेंगे तभी से प्रदर्शन स्थलों पर जश्न का माहौल शुरू हो गया। किसानों ने अपनी जीत पर एक-दूसरे को बधाई दी, संगठन के झंडे लहराए और अपने ट्रैक्टरों पर देशभक्ति के गाने बजाए।

आंदोलन समाप्त होते ही सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने अपने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए और अपना सामान इकट्ठा करने लगे। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 11 दिसंबर से हटने की अपील करने के बावजूद गाजीपुर बॉर्डर से कुछ किसान वापस जाने लगे हैं।

पिछले एक वर्ष से सिंघू बॉर्डर पर धरना दे रहे एक किसान ने कहा, ‘‘हम यहां 15 के समूह में आते थे। आज हम अपने पंखे, कूलर और एयर कंडीशनर्स जैसे सामान पैक कर रहे हैं। हम 11 दिसंबर को विजयी मार्च के बाद यहां से लौटेंगे।’’

पंजाब के रहने वाले 60 वर्षीय प्रदर्शनकारी नीरवीर सिंह ने कहा, ‘‘हर चीज को इकट्ठा करने में दस लोगों को लगभग दो घंटे का वक्त लगा। हम 19 लोग यहां आए थे और अब छह बचे हैं जबकि अन्य वापस लौट गए। हम दस दिनों के लिए यहां आते थे और फिर लौट जाते थे। हम जीत का जश्न मनाएंगे और फिर अपने घरों को लौटेंगे।’’

गाजीपुर में बृहस्पतिवार की रात से रोटी बनाने और दूध उबालने वाली मशीनें हटाई जाएंगी जबकि कई प्रदर्शनकारी आज से ही लौटने लगे हैं। उन्होंने कहा कि गाजीपुर स्थल से अस्थायी ढांचों और आवास को हटाने में कुछ और दिन लगेंगे।

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गणतंत्र दिवस पर हिंसा से लेकर लखीमपुर खीरी की घटना तक कई विवादास्पद घटनाएं हुईं। साथ ही ‘टूलकिट’और ‘आंदोलनजीवी’ जैसे शब्दों को लेकर भी खूब वाद-विवाद हुए।

इतने विवादों के बावजूद किसान धरना स्थल से नहीं हटे और उन्होंने सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य किया।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन शुरू करने के कुछ ही हफ्ते बाद गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों और पुलिस में संघर्ष हुआ। कई प्रदर्शनकारी लाल किले पर पहुंच गए और किला के अंदर घुस गए। कुछ ने इसके गुंबद पर धार्मिक झंडा फहरा दिया।

इस दौरान सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोग जख्मी हो गए और ट्रैक्टर पलटने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

गणतंत्र दिवस की हिंसा के तुरंत बाद जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना ने किसानों के प्रति समर्थन जताया। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई।

थनबर्ग ने एक ‘‘टूलकिट’’ भी साझा की, जिसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया और दिल्ली पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ‘‘टूलकिट’’ को साझा करने के लिए जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें जमानत दे दी गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में संसद में प्रदर्शनकारियों पर प्रहार करते हुए उन्हें ‘‘आंदोलनजीवी’’ बताया। इस शब्द के लिए कांग्रेस ने मोदी पर पलटवार किया था।

सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर मार्च में गोलियां चली थीं लेकिन इसमें कोई जख्मी नहीं हुआ।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में तीन अक्टूबर को किसानों के प्रदर्शन स्थल पर चार लोगों की मौत से विवाद खड़ा हो गया। एक एसयूवी से कथित तौर पर कुचलने के कारण इन लोगों की मौत हो गई। बाद में भीड़ ने चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना के सिलसिले में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित एक दर्जन से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

नवीनतम घटना सिंघू बॉर्डर पर 15 अक्टूबर को हुई जिसमें एक दलित मजदूर लखबीर सिंह की बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई। इस सिलसिले में चार निहंग सिखों को गिरफ्तार किया गया था।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से के किसान पिछले वर्ष 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं -- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में प्रदर्शन कर रहे थे।

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