अदालती आदेश से भी पत्नी को पति के साथ रहने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता : गुजरात उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 30, 2021 15:19 IST2021-12-30T15:19:32+5:302021-12-30T15:19:32+5:30

Wife cannot be compelled to live with husband even by court order: Gujarat High Court | अदालती आदेश से भी पत्नी को पति के साथ रहने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता : गुजरात उच्च न्यायालय

अदालती आदेश से भी पत्नी को पति के साथ रहने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता : गुजरात उच्च न्यायालय

अहमदाबाद, 30 दिसंबर एक कुटुंब अदालत का आदेश पलटते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि न्यायिक आदेश के बावजूद एक महिला को उसके पति के साथ रहने और दांपत्य अधिकार स्थापित करने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पहली पत्नी अपने पति के साथ रहने से इस आधार पर इनकार कर सकती है कि “मुस्लिम कानून बहुविवाह की अनुमति देता है, लेकिन इसे कभी बढ़ावा नहीं दिया है।”

उच्च न्यायालय ने अपने एक हालिया आदेश में कहा, “भारत में मुस्लिम कानून ने बहुविवाह को मजबूरी में सहन करने वाली संस्था के रूप में माना है, लेकिन प्रोत्साहित नहीं किया है, और पति को सभी परिस्थितियों में पत्नी को किसी अन्य महिला को अपनी साथी (कंसोर्टियम) के तौर पर रखने के लिये मजबूर करने का कोई मौलिक अधिकार प्रदान नहीं किया है।”

उच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि समान नागरिक संहिता संविधान में केवल एक उम्मीद नहीं रहनी चाहिए।

गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति निरल मेहता की खंडपीठ ने कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए एक मुकदमे में निर्णय पूरी तरह से पति के अधिकार पर निर्भर नहीं करता है, और कुटंब अदालत को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि क्या पत्नी को अपने पति के साथ रहने के लिए मजबूर करना उसके लिए अनुचित होगा।

पीठ ने गुजरात के बनासकांठा जिले की एक कुटुंब अदालत के जुलाई 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। कुटुंब अदालत ने महिला को अपने ससुराल वापस जाने और वैवाहिक दायित्व के निर्वहन का निर्देश दिया था।

युगल का ‘निकाह’ 25 मई 2010 को बनासकांठा के पालनपुर में किया गया और जुलाई 2015 में उनका एक बेटा हुआ।

याचिका के मुताबिक एक सरकारी अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करने वाली महिला ने ससुरालवालों द्वारा ऑस्ट्रेलिया जाकर वहां नौकरी करने के लिये दबाव बनाने पर जुलाई 2017 में अपने बेटे के साथ ससुराल छोड़ दिया था। महिला ने कहा कि उसे यह विचार पसंद नहीं था और इसलिये उसने बेटे के साथ ससुराल छोड़ दिया।

उच्च न्यायालय ने नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 21 नियम 32 (1) का हवाला दिया और कहा, “कोई भी व्यक्ति किसी महिला या उसकी पत्नी को साथ रहने और वैवाहिक अधिकार स्थापित करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। यदि पत्नी साथ रहने से इनकार करती है तो ऐसे मामले में उसे दाम्पत्य अधिकारों को स्थापित करने के लिए एक डिक्री के जरिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।”

महिला के पति के मुताबिक वह “बिना किसी वैध आधार” के घर छोड़कर गई थी।

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Web Title: Wife cannot be compelled to live with husband even by court order: Gujarat High Court

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