आखिर क्यों इतनी महत्वपूर्ण है भूटान नरेश की भारत यात्रा ?
By शोभना जैन | Published: April 8, 2023 04:06 PM2023-04-08T16:06:56+5:302023-04-08T16:11:17+5:30
भारत-भूटान के रिश्ते सामान्य कूटनीतिक रिश्तों की परिधि से दूर एक खास तरह के अपनत्व से भरे रहे हैं, लेकिन भारत के साथ भूटान के रिश्तों को लेकर चीन चुनौतियां खड़ी कर रहा है।
भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग की हाल ही में चीन-भूटान सीमा विवाद को लेकर चीन के पक्ष में की गई विवादास्पद टिप्पणी की पृष्ठभूमि में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की इस सप्ताह की भारत यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को लेकर कूटनीतिक दृष्टि से खासी अहम मानी जा रही है।
सौहार्द्रपूर्ण माहौल में हुई दोनों देशों के बीच बातचीत में हालांकि भारत ने भूटान की अनेक विकास परियोजनाओं में हमेशा की तरह मदद की घोषणा की लेकिन ये भी कड़वी सच्चाई है कि भारत-भूटान रिश्तों पर इस अहम वार्ता में शेरिंग की विवादास्पद टिप्पणी की छाया तो बनी रही।
भारत-भूटान के रिश्ते सामान्य कूटनीतिक रिश्तों की परिधि से दूर एक खास तरह के अपनत्व से भरे रहे हैं, लेकिन भारत के साथ भूटान के रिश्तों को लेकर चीन जिस तरह से चुनौतियां खड़ी कर रहा है, और डोकलाम को लेकर भूटान पर दबाव बनाने का निरंतर प्रयास करता रहा है, उससे निश्चय ही भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा होती है।
ऐसे में जरूरी है प्रगाढ़ रिश्तों को और सुदृढ़ बनाने के लिए आपसी भरोसा बढ़ाया जाए, ताकि रिश्तों में आ रही चुनौतियों को समय रहते हल किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भूटान नरेश के बीच हुई वार्ता में दोनों के बीच आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
दोनों ने बातचीत में उन संभावनाओं पर भी विचार किया कि द्विपक्षीय संबंधों को कैसे और मजबूत किया जा सकता है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के आर्थिक और सामाजिक विकास में भारतीय सहायता को जारी रखने की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया।
भारत ने माना है कि भूटान नरेश का ये दौरा दोस्ती और सहयोग के अनोखे रिश्ते को आगे बढ़ाने का परिचायक है। भारत के लिए भूटान सामरिक तौर से बेहद महत्वपूर्ण देश है।
भारत और भूटान के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध लगातार मजबूत होते रहे हैं। पूर्वी क्षेत्र में चीन के साथ सीमा विवाद के नजरिये से भूटान की अहमियत और बढ़ जाती है। डोकलाम पठार भारत के सामरिक हित के लिहाज से एक महत्वपूर्ण इलाका है।
2017 में डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक टकराव की स्थिति बनी रही थी। डोकलाम ट्राई-जंक्शन पर 2017 में भारत-चीन के बीच तनातनी तब शुरू हुई थी जब चीन उस इलाके में सड़क विस्तार करने का प्रयास कर रहा था, जिसके बारे में भूटान ने दावा किया था कि वो इलाका उसकी सीमा में आता है।
उस वक्त भारत ने चीन के इस प्रयास का सख्त विरोध किया था. इस घटना के बाद भारत और भूटान के बीच सामरिक संबंधों को और मजबूत करने पर जोर रहा है।