नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्कूल शिक्षिका द्वारा धर्म विशेष के छात्रों को कक्षा के सहपाठियों को थप्पड़ मारने के लिए कहने वाले मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि समाज में ऐसी घटनाएं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं और इस घटना को कतई हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर महिला शिक्षिका पर लगाये आरोप सही हैं और उसने इस तरह का कार्य किया है तो यह समाज को झकझोरने वाला मामला है और इससे राज्य की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है तो भला वहां पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिल सकती है।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए स्थगित करते हुए राज्य सरकार को कुछ आवश्यक निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार घटना में शामिल छात्रों की काउंसलिंग कराये और उसकी अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश शासन पीड़ित बच्चे की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी ले और उस दिशा में आवश्यक कदम उठाते हुए कोर्ट को अवगत कराये।
मालूम हो कि बीते 24 अगस्त को मुजफ्फरनगर जिले में स्कूल शिक्षिका की अमानवीय करतूत का शर्मनाक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसके बाद घटना को लेकर सार्वजनिक आक्रोश फैल गया और कई हलकों से वारदात की बेहद कड़ी निंदा हुई थी।
घटना के वायरल वीडियो में स्पष्ट दिखाई देता है कि क्लास रूम में शिक्षिका एक छात्र को धर्म विशेष के कारण कक्षा के अन्य छात्रों को थप्पड़ मारने के लिए उकसाती है। कक्षा के मासूम बच्चे टीचर के कहने पर छात्र को थप्पड़ मारते हैं।