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पाकिस्तान में खोई गीता को वापस लाईं थी सुषमा स्वराज, भारतीय दूतावास को पाक ने कई बार दी थी सूचना, पर कोई नहीं आया

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 7, 2019 09:24 IST

साल 2003-04 में पाकिस्तानी बॉर्डर गार्ड्स को लाहौर के पास मिली 11 साल की गीता को ईधी यतीमखाने ले आए. उसके बाद भारतीय दूतावास को कई बार सूचना दी गई, पर कोई नहीं आया.

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ठळक मुद्दे4 अगस्त 2015 को सुषमा स्वराज ने कई ट्वीट में कहा था कि वे पाकिस्तान में सालों से रह रही गीता को वापस लाएंगी.सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के उन सभी लोगों और संस्थानों का आभार जताया था जिन्होंने गीता की देखभाल की.

साल 2015 का जुलाई महीना था. सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' रिलीज हुई थी. इस बात की खूब चर्चा थी कि यह फिल्म उस भारतीय लड़की 'गीता' की कहानी पर आधारित है, जो गलती से सीमा पाकिस्तान चली गई थी. फिर मीडिया में ये खबरें भी आईं कि भारत से उस लड़की की सुध लेनेवाला कोई नहीं है.इस बात को हफ्ताभर भी नहीं हुआ था कि 4 अगस्त 2015 को भारत की (तत्कालीन) विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कई ट्वीट किए और कहा कि वे पाकिस्तान में सालों से रह रही गीता को वापस लाएंगी. सुषमा स्वराज का यह कारनामा अब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मानवीय कार्यों के इतिहास में सुनहरी रोशनाई से दर्ज है.सुषमा स्वराज के निर्देश पर पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त टी.सी.ए. राघवन और उनकी पत्नी ने ईधी फाउंडेशन के अनाथालय जाकर गीता से मुलाकात की. सुषमा ने गीता के भारतीय होने की भी पुष्टि करवाई और बताया कि गीता को भारत वापस लाने में कुछ औपचारिकताएँ पूरी करनी होंगी, जो भारत पूरी करेगा.दरअसल, 11 साल की गीता 2003-04 में पाकिस्तानी बॉर्डर गार्ड्स को लाहौर के पास मिली थी. वे इंसानी हमदर्दी के नाते उसे ईधी यतीमखाने ले आए. उसके बाद भारतीय दूतावास को कई बार सूचना दी गई, पर कोई नहीं आया. 2013 में जब ये मामला मीडिया में छाया, तो भारतीय दूतावास से अफसर उससे मिलने पहुंचे. लेकिन, उसे लौटा लाने की कोशिश नहीं हुई. भारत से बहुत से लोग आते रहे और बच्ची से मिलते रहे. वे उसकी तस्वीरें लेते, दस्तावेज और लिखावट के नमूने ले जाते, पर कुछ नहीं करते.बॉलीवुड ने भी उसकी स्टोरी पर फिल्म बनाकर पैसे कमाए, पर गीता को न क्रेडिट दिया, न ही उसे घर पहुंचाने में मद की. तब आखिर सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे को पहचाना और अंजाम तक पहुंचाया. तीन महीने भी पूरी तरह नहीं बीते थे कि 26 अक्तूबर 2015 को आखिरकार गीता कराची से दिल्ली लौट आई. गीता के साथ ईधी फाउंडेशन के अधिकारी भी आए. सुषमा ने पाकिस्तान के उन सभी लोगों और संस्थानों का आभार जताया जिन्होंने गीता की देखभाल की.सुषमा स्वराज ने प्रेस कांफ्रेंस की और गीता को 'हिंदुस्तान की बेटी' कहा. उन्होंने ऐलान किया कि गीता के परिजनों को खोजने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. इसके बाद गीता को शिक्षा और कौशल हासिल करने के लिए मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में मूक-बधिर संस्थान में भेज दिया गया. इसके बाद सुषमा स्वराज उसके माता-पिता को खोजने में जुट गईं. जब 3 साल में कोई फल नहीं निकला तो उन्होंने उसके हाथ पीले करवाने की ठान ली थी.

टॅग्स :सुषमा स्वराजपाकिस्तान
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