क्या है विद्यारंभम?, केरल में विजयादशमी के अवसर पर छोटे बच्चों का अक्षरों के संसार में पदार्पण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 2, 2025 13:03 IST2025-10-02T13:02:15+5:302025-10-02T13:03:11+5:30
विद्वानों, लेखकों, शिक्षकों, पुजारियों और समाज के अन्य प्रमुख लोगों ने उन्हें राज्य भर के मंदिरों और सांस्कृतिक केंद्रों में ‘हरि श्री गणपतये नमः’ मंत्र से शुरू करते हुए अपनी शिक्षा के पहले अक्षर लिखवाए।

file photo
तिरुवनंतपुरमः समूचे केरल में बृहस्पतिवार को विजयादशमी के अवसर पर मंदिरों में ‘विद्यारंभम’ अनुष्ठान आयोजित कर हजारों छोटे बच्चों का परिचय अक्षरों से कराया गया। विद्यारंभम नौ-दिवसीय वार्षिक नवरात्र उत्सव के समापन का प्रतीक है। आमतौर पर दो से तीन साल की उम्र के कुछ बच्चे इस अनुष्ठान के दौरान रोते दिखे तो कुछ मुस्कुराते दिखे, वहीं कुछ ने बड़ी उत्सुकता से अनुष्ठान में हिस्सा लिया तो कुछ चुपचाप ही रहे। इस दौरान विद्वानों, लेखकों, शिक्षकों, पुजारियों और समाज के अन्य प्रमुख लोगों ने उन्हें राज्य भर के मंदिरों और सांस्कृतिक केंद्रों में ‘हरि श्री गणपतये नमः’ मंत्र से शुरू करते हुए अपनी शिक्षा के पहले अक्षर लिखवाए। विजयादशमी को दक्षिणी राज्य में ‘विद्यारम्भम’, यानी शिक्षा के आरंभ के दिन के रूप में मनाया जाता है।
केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने यहां राजभवन में कई बच्चों को अक्षरों की दुनिया से परिचित कराया, जहां इस समारोह के लिए व्यापक व्यवस्था की गई थी। राजभवन ने ‘फेसबुक’ पर पोस्ट किया, ‘‘केरल में बच्चों को अक्षरों की दुनिया से परिचित कराकर विजयादशमी मनाने की एक समृद्ध परंपरा है।
राजभवन ने भी इस परंपरा का पालन किया और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज स्वयं बच्चों को ‘विद्यारंभम’ करवाया।’’ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने एर्नाकुलम जिले के पारावुर स्थित अपने घर पर बच्चों को अक्षरों के संसार से परिचित कराया।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन भी यहां एक मंदिर में बच्चों को अक्षरों की दुनिया से परिचित कराते देखे गए। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी अपने आवास पर बच्चों को अक्षरों के संसार से रू-ब-रू करवाया।
इस समारोह में भाग लेने के लिए माता-पिता अपने नन्हे बच्चों के साथ सुबह से ही मंदिरों में उमड़ पड़ते हैं, जिसके तहत बच्चों को चावल से भरे थालों पर ‘‘हरिश्री’’ लिखने में मदद की जाती है या इसे एक सुनहरी अंगूठी से बच्चे की जीभ पर लिख दिया जाता है।