जानिए क्या है 'शेकलटन क्रेटर' जहां 24 अगस्त को लैंड करेगा चंद्रयान-3 का रोबोटिक उपकरण, दुनिया का कोई भी देश नहीं कर पाया ऐसा

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 14, 2023 14:50 IST2023-07-14T14:48:03+5:302023-07-14T14:50:27+5:30

शेकलटन क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater)। यह एक ऐसी जगह है जहां अब तक दुनिया के किसी भी देश ने अपना लैंडर उतारने का कारनामा नहीं किया है।

what is 'Shackleton Crater' where Chandrayaan-3's robotic equipment will land on August 24 | जानिए क्या है 'शेकलटन क्रेटर' जहां 24 अगस्त को लैंड करेगा चंद्रयान-3 का रोबोटिक उपकरण, दुनिया का कोई भी देश नहीं कर पाया ऐसा

रोबोटिक उपकरण की प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlights चंद्रयान-3, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हो गयाजिस जगह रोबोटिक उपकरण उतरेगा उसका नाम है शेकलटन क्रेटरशेकलटन क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है

नई दिल्ली: भारत का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3, 14 जुलाई, शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हो गया। इस बेहद खास मिशन पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया की निगाहें भी टिकी हुई हैं। भारत के चंद्र अभियान को जो बात सबसे खास बनाती है वह है उस जगह का चुनाव जहां आगामी 24 अगस्त को चंद्रयान 3 मिशन का रोबोटिक उपकरण उतरेगा। जिस जगह रोबोटिक उपकरण उतरेगा उसका नाम है शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater)। यह एक ऐसी जगह है जहां अब तक दुनिया के किसी भी देश ने अपना लैंडर उतारने का कारनामा नहीं किया है।

शेकलटन क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। इसकी स्थिति ऐसी है कि  क्रेटर के किनारे की चोटियाँ लगभग निरंतर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहती हैं, आंतरिक भाग हमेशा छाया में रहता है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा अपनी धुरी पर पृथ्वी की तुलना में केवल 1.5°, 23.5° पर थोड़ा झुका हुआ है। इस जगह का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है।

वे स्थान जहां सूर्य कभी नहीं पहुंचता, उन्हें स्थायी छाया वाले क्षेत्र (पीएसआर) के रूप में जाना जाता है।  माना जाता है कि शेकलटन क्रेटर जैसे पीएसआर में पानी की बर्फ और अन्य सामग्रियां होती हैं जो आसानी से गैस में बदल जाती हैं क्योंकि ये क्षेत्र इतने ठंडे और अंधेरे में होते हैं। यदि पीएसआर में महत्वपूर्ण जल बर्फ जमा होने की पुष्टि हो जाती है तो  भविष्य में मानव अन्वेषण के लिए संसाधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। चंद्रयान-3 का उद्देश्य चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना ही है।

इसके अलावा यहां पर अमोनिया, मिथेन, सोडियम, मरकरी और सिल्वर जैसे जरूरी संसाधन मिल सकते हैं। बता दें कि इस मिशन को लेकर देशभर में उत्साह है। पहले के मुकाबले इस बार चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर लैंड होगा इसलिए इसके सफल होने की उम्मीदें भी चंद्रयान 2 के मुकाबलें काफी ज्यादा हैं।

Web Title: what is 'Shackleton Crater' where Chandrayaan-3's robotic equipment will land on August 24

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे