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आसामान से बरस रहे 'शोले', आमजन का सूख रहा है हलक- पढ़ें क्या हैं देश में पानी के हालात  

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 24, 2018 17:13 IST

Water Crisis Report: पिछले दिनों केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि देश के बड़े जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले औसतन 15 फीसदी कम हुआ है।

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नई दिल्ली, 24 मईः देश के कई राज्यों में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही और तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके चलते आमजन परेशान है और उसके लिए घर से निकलना उसके लिए दूभर हो रहा है। भीषण गर्मी के साथ पानी का संकट भी गहरा गया, जिसके लिए हाहाकार मचा हुआ है। हालांकि सरकारें पानी की समस्या के लिए कदम तो उठा रही हैं, लेकिन वह 'ऊंट के मुंह में जीरा' की कहावत के समान है। 

मध्यप्रदेश के ये हैं हालात

मध्यप्रदेश में 165 बड़े जलाशयों में से 65 बांध लगभग सूख चुके हैं और 39 जलाशयों में उनकी क्षमता का 10 फीसद से भी कम पानी शेष बचा है। भूमिगत जलस्तर कम होने से हैंडपंप और ट्यूबवैल भी पूरी क्षमता से पानी खींच नहीं पा रहे हैं। प्रदेश के कुल 378 स्थानीय नगरीय निकायों में से 11 नगरीय निकायों में से चार दिन में एक दफा पानी की आपूर्ति हो पा रही है। 50 निकायों में तीन दिन में एक बार तथा 117 निकायों में एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश की शहरी आबादी नदियों और जलाशयों के पानी पर निर्भर है, लेकिन फिलहाल शहरी इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 5.5 लाख हैंडपम्प और 15,000 ट्यूब वेल लोगों की पानी की जरूरत पूरा करने के लिए काम रहे हैं। सबसे ज्यादा हालात बुंदेलखंड के खराब बताए जा रहे हैं, जहां ताल-तलैया तो सूख चुके हैं, अधिकांश हैंडपम्प बंद हो गए हैं और नलों से पानी आना किसी सपने की तरह प्रतीत होने लगा है।

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पानी की किल्लत से राजस्थान भी जूझ रहा 

राजस्थान की अगर बात करें तो देश की कुल आबादी का 10.10 फीसदी हिस्सा राजस्थान में निवास करता है, लेकिन इसके मुकाबले प्रदेश में देश का महज 1.1 फीसदी सतही जल और केवल 5.5 प्रतिशत भूजल ही उपलब्ध है। प्रदेश में 1 लाख 21 हजार 648 गांव-ढाणियां हैं, लेकिन इनमें से अभी तक भी करीब 60 हजार से ज्यादा गांव-ढाणियां ऐसी है जहां अभी तक भी पीने के पानी की आसान पहुंच नहीं है। लोग इस गर्मी में त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं। प्रदेश की 38 हजार 594 गांव-ढाणियों में पेयजल किल्लत है और 16 हजार 340 गांव-ढाणियों में पेयजल की स्थिति गंभीर बनी हुई है। कुल 1 लाख 21 हजार 683 में से 83089 गांव-ढाणियां सेफ जोन में  हैं, जबकि 13977 गांव-ढाणियों में पेयजल परिवहन की जरूरत है। प्रदेश के एक भी गांव को मापदण्डों पर पानी नहीं मिल रहा है।

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महाराष्ट्र में ये है स्थिति

पानी को लेकर पिछल दिनों औरंगाबाद में दो समुदायाों के बीच हिंसा हो गई थी। यह इलाका सूबे के मराठवाड़ा में आता है और हर साल गर्मियों में मराठवाड़ा इलाके में पानी की किल्लत हो जाती है। मराठवाड़ा में पानी की इस किल्लत का सर्वाधिक खामियाजा औरंगाबाद को भुगतना पड़ता है। वहीं, भंडारा जिले के 12 गांवों के निवासी जल संकट के चलते आगामी भंडारा-गोंदिया लोकसभा उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे, जबकि महाराष्ट्र के ठाणे में कई इलाकों में महिलाओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ठाणे के शाहपुर ब्लॉक के गई गांवों में पानी भरने के लिए महिलाएं अभी मीलों चलने को मजबूर हैं, जबकि पानी कम होता जा रहा है। 

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हरियाणा में टैंकरों के जरिए पानी की सप्लाई

राष्ट्रीय राजधानी से सटा हरियाणा राज्य भी पानी के संकट से जूझ रहा है। हालांकि यहां टैकरों के जरिए पानी के संकट से निपटने के लिए आदेश दिए हैं। शहरों से लेकर गांवों तक पेयजल संकट गहराने लगा है। महेंद्रगढ़, नारनौल, भिवानी, सिरसा, करेवाड़ी , भिवानी, हिसार, व फतेहाबाद इलाकों में स्थिति गंभीर होने लगी है। हालांकि विभाग शिकायत मिलने के बाद समाधान कर रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोग ज्यादा परेशान हैं।

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दिल्ली में भी गहरा सकता है जल संकट

पड़ रही भीषण गर्मी के चलते राष्ट्रीय राजधानी में भी पानी की किल्लत होना शुरू हो गई। कई जगहों पर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि दिल्ली में जल संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर उनसे जलापूर्ति के मौजूदा स्तर को बनाए रखने का आग्रह कर चुके हैं ताकि जल संकट से निपटा जा सके। 

क्या कह रही है केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट?

वहीं, पिछले दिनों केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट में बताया गया कि देश के बड़े जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले औसतन 15 फीसदी कम हुआ है। 91 बड़े जलाशयों में पानी कुल क्षमता का 22 फीसदी ही केवल बचा है जो पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी कम है और पिछले दस साल के औसत से 10 फीसदी कम है। दक्षिण भारत के 31 जलाशयों में सिर्फ 14 फीसदी पानी बचा है, जबकि उत्तर भारत के 6 जलाशयों में सिर्फ 19 फीसदी पानी बचा है। पश्चिमी भारत के बड़े जलाशयों में 22 फीसदी पानी बचा है जो इस समय पिछले साल 27 फीसदी था। इस रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है। अगर इस साल मानसून में देरी होती है तो और ज्यादा समस्या खड़ी हो सकती है। 

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गर्मी का सितम आगे भी रहेगा जारी 

इधर, मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के अधिकांश इलाकों में और पश्चिमी मध्य प्रदेश, विदर्भ, पंजाब, और पूर्वी राजस्थान के कुछ इलाकों में गुरुवार को भी लू के थपेड़ों के साथ गर्मी का प्रकोप बढ़ने का अनुमान है। जबकि उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ, पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में एक दो स्थानों पर गर्मी का असर शुक्रवार को भी बरकरार रहने की आशंका है। इसके अलावा मौसम विभाग ने उत्तरी केरल, तमिलनाडु के तटीय इलाकों, पुद्दुचेरी, कर्नाटक, लखद्वीप, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनिंदा स्थानों पर अगले 24 घंटों में तेज हवाओं के साथ आंधी की आशंका जताई है। वहीं अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना जतायी गयी है। लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें!

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