रिपोर्ट में खुलासा! राजस्थान पानी की सप्लाई में सबसे पीछे, 44 फीसदी गांवों में ही मिल रहा है पेयजल
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 17, 2018 03:54 AM2018-06-17T03:54:15+5:302018-06-17T03:54:15+5:30
पीने के लिए साफ पानी देने की जिम्मेदारी होती है। फिर भी सरकारों की लापरवाही की ही नतीजा है कि देश के कई इलाके या तो पानी के गंभीर संकट से गुजर रहे हैं या फिर वहां के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
जयपुर, 16 जून : गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या सामने आ जाती है। ऐसे में पीने के लिए साफ पानी देने की जिम्मेदारी होती है। फिर भी सरकारों की लापरवाही की ही नतीजा है कि देश के कई इलाके या तो पानी के गंभीर संकट से गुजर रहे हैं या फिर वहां के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
खबर के अनुसार राजस्थान का हालात काफी खराब हैं। यहां केवल 44 फीसदी गांवों में राज्य सरकार पेयजल की आपूर्ति कर पा रही है। इस बात का खुलासा खुद नीति आयोग के द्वारा किया है।
हाल ही में पेश की गई नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान पेयजल आपूर्ति स्तर के मामले में पीछे है और सिर्फ 44 प्रतिशत ग्रामीण बस्तियों में ही पूरी तरह से जलापूर्ति हो रही है। साथ ही यहां के गांव की बस्तियों में पेय जल की गुणवत्ता और पहुंच दर में सुधार करने को कहा है।इतना ही नहीं आयोग ने भूजल संरक्षण और सहभागितापूर्ण सिंचाई के लिए राज्य के प्रयासों की सराहना की है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रदूषण के संबंध में पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। साथ ही देश इस समय 60 करोड़ लोग पानी संकट का सामना कर रहे हैं। जल प्रबंधन सूचकांक में गुजरात पहले स्थान पर है और झारखंड सबसे नीचे है।
हाल ही में जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ा संकट पानी का है औैर यह संकट आगे और गंभीर होने जा रहा है उन्होंने कहा कि कृषि प्रबंधन से इस संकट को काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों को भूजल उपलब्ध कराने के लिए परियोजनाओं पर करीब 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।