जगदलपुर में 210 माओवादियों ने किया समर्पण किया, 19 एके-47, 17 सेल्फ-लोडिंग राइफल, 23 इंसास राइफल, वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: October 17, 2025 14:51 IST2025-10-17T12:41:35+5:302025-10-17T14:51:19+5:30

माओवादियों ने 19 एके-47 राइफल, 17 सेल्फ-लोडिंग राइफल, 23 इंसास राइफल, एक इंसास एलएमजी (लाइट मशीन गन), 36 .303 राइफल, चार कार्बाइन और 11 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) सहित 153 हथियारों को भी सुरक्षाबलों के सामने रखा।

watch 210 Naxalites surrender Chhattisgarh’s Jagdalpur Bastar 19 AK-47 rifles, 17 self-loading rifles, 23 INSAS rifles see video | जगदलपुर में 210 माओवादियों ने किया समर्पण किया, 19 एके-47, 17 सेल्फ-लोडिंग राइफल, 23 इंसास राइफल, वीडियो

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Highlightsवरिष्ठ अधिकारियों के सामने समर्पण किया है।करीब 10 बजे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

बस्तरः छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में 210 माओवादियों ने राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने समर्पण किया है। मुख्यधारा में शामिल होने के लिए अपने हथियार डाल दिए। उन्होंने भारत के संविधान में विश्वास व्यक्त किया। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में वरिष्ठ पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों की मौजूदगी में माओवादियों के केंद्रीय समिति के एक सदस्य सहित 210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि माओवादियों ने 19 एके-47 राइफल, 17 सेल्फ-लोडिंग राइफल, 23 इंसास राइफल, एक इंसास एलएमजी (लाइट मशीन गन), 36 .303 राइफल, चार कार्बाइन और 11 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) सहित 153 हथियारों को भी सुरक्षाबलों के सामने रखा। 210 नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर बोले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कि आज का दिन केवल बस्तर के लिए ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।

   

राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं।

इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्री अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) श्री विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर श्री डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी श्री सुंदरराज पी., कलेक्टर श्री हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।

‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।

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