भारत में गिद्धों की संख्या चार करोड़ से घटकर चार लाख पहुंची, सामने आई ये बड़ी वजह

By भाषा | Published: February 11, 2020 06:14 AM2020-02-11T06:14:17+5:302020-02-11T06:14:17+5:30

संवाददाता सम्मेलन में जावेड़कर ने बताया कि सीओपी-13 सम्मेलन 15 से 22 फरवरी के बीच गुजरात में होगा और यह वन्यजीव संरक्षण में एक सार्थक कदम है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। 

Vulture population in India down from 4 cr to less than 4 lakh in 3 decades Prakash Javadekar | भारत में गिद्धों की संख्या चार करोड़ से घटकर चार लाख पहुंची, सामने आई ये बड़ी वजह

भारत में गिद्धों की मौत उन मृत पशुओं के खाने से हुई जिन्हें डाइक्लोफेनेक नामक दवा दी गई थी।

Highlightsजावड़ेकर ने कहा, ‘‘130 देशों के प्रतिनिधि, प्रमुख संरक्षणवादी और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन इस सम्मेलन में शामिल होंगे।पर्यावरण कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता गौरव बंसल ने कहा, ‘‘यह सच है कि डाइक्लोफेनेक गिद्धों के मरने का मुख्य कारण है लेकिन इसे अबतक प्रतिबंधित नहीं किया गया है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को बताया कि गत तीन दशक में देश में गिद्धों की संख्या में तेजी से कमी आई है और यह चार करोड़ से घटकर चार लाख से भी कम रह गई है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (सीएमपी) पर आयोजित 13वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टी (सीओपी 13) से पहले उन्होंने कहा कि जानवरों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा ‘‘डाइक्लोफेनेक’’ की वजह से गिद्धों की मौत हुई क्योंकि वे मृत जानवरों को खाते हैं। 

जानवरों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा ‘डाइक्लोफेनेक’ उनकी मांसपेशियों में जमा हो जाती है। जब जानवरों की मौत होती है तो गिद्ध उन्हें खाते हैं और फिर यह दवा गिद्धों के शरीर में पहुंचकर उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है। सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है। 

जावड़ेकर ने कहा, ‘‘इस सम्मेलन में गिद्धों की कम होती संख्या के मुद्दे पर चर्चा होगी। भारत में गिद्धों की मौत उन मृत पशुओं के खाने से हुई जिन्हें डाइक्लोफेनेक नामक दवा दी गई थी और अब उनकी संख्या चार करोड़ से घटकर चार लाख से भी कम रह गई है। हम उनकी आबादी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।’’ 

गिद्धों की आबादी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए पर्यावरण मंत्रालय में वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) सौमित्र दासगुप्ता ने बताया कि इस दवा को प्रतिबंधित किया गया है और अब गिद्धों की आबादी बढ़ रही है। मंत्रालय के दावे पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि दवा को अब भी प्रतिबंधित किया जाना बाकी है जबकि एक विशेषज्ञ ने कहा कि इस प्रतिबंध को लागू करने में खामियां है। 

पर्यावरण कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता गौरव बंसल ने कहा, ‘‘यह सच है कि डाइक्लोफेनेक गिद्धों के मरने का मुख्य कारण है लेकिन इसे अबतक प्रतिबंधित नहीं किया गया है। इस दवा को केवल तमिलनाडु में प्रतिबंधित किया गया है, पूरे देश में नहीं, जो चिंता का विषय है।’’ वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्सूएफ) के पर्यावरणविद दीपांकर घोष ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम इसका इस्तेमाल हो रहा है। 

संवाददाता सम्मेलन में जावेड़कर ने बताया कि सीओपी-13 सम्मेलन 15 से 22 फरवरी के बीच गुजरात में होगा और यह वन्यजीव संरक्षण में एक सार्थक कदम है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। 

जावड़ेकर ने कहा, ‘‘130 देशों के प्रतिनिधि, प्रमुख संरक्षणवादी और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन इस सम्मेलन में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण की पैदा हुई समस्याओं पर इस सम्मेलन में चर्चा होगी और साथ ही इन समस्याओं से निपटने के वैज्ञानिक तरीकों पर भी मंथन होगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत सीएमएस सीओपी-13 पर्यावरण संधि है और यह सम्मेलन गुजरात के गांधीनगर में होगा। मेजबान के तौर पर भारत अगले तीन साल के लिए अध्यक्ष नामित किया जा सकता है।

Web Title: Vulture population in India down from 4 cr to less than 4 lakh in 3 decades Prakash Javadekar

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