नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्टमणिपुर में 4 मई को हिंसक भीड़ द्वारा महिलाओं को निर्वस्त्र करने और सामूहिक बलात्कार के मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट मोदी सरकार की उस मांग पर विचार करेगा, जिसमें घटना की जांच 6 महीने के समयावधि के भीतर सीबीआई से जांच कराके आरोपपत्र दाखिल कराने और केस को मणिपुर से बाहर पड़ोसी राज्य असम में कराने की बात कही गई है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट मणिपुर के इस लोमहर्षक विवाद पर बीते 28 जुलाई को ही सुनवाई करने वाला था लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अस्वस्थ होने के कारण सुनवाई को 31 जुलाई के लिए टाल दी गई थी। आज मामले की सुनवाई करने वाले बेंच में चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा 4 मई से जुड़ी घटना पर एक नई याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
बीते 4 मई को यह घटना बी फीनोम गांव में हुई थी। केस में दर्ज एफआईआर से पता चलता है कि बी फिनोम गांव के प्रधान ने हमलावरों की पहचान मैतेई समूहों के लोगों के रूप में की है और आरोप है कि हिंसक भीड़ ने तीन कुकी महिलाओं को जबरन निर्वस्त्र करके उन्हें नग्न घुमाया और उनमें से एक के साथ गैंग रेप भी किया गया। दुखद स्थिति यह है कि महिला के साथ गैंगरेप से पहले उसके पिता और भाई की भीड़ ने हत्या कर दी गई और भीड़ ने इस सारी वारदात को उस वक्त अंजाम दिया, जब पुलिस टीम महिलाओं को अपने हिरासत में लेकर सुरक्षित स्थान पर जा रही थी।
4 मई की उस घटना का वीडियो 20 जुलाई को वायरल हुआ, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भयावह वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया और चीप जस्टिस चंद्रचूड़ ने वीडियो को ''बेहद परेशान करने वाला'' और ''संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन'' बताया था।
उसके बाद चीफ जस्टिस की अदालत ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय करते हुए स्पष्टीकरण मांगा था और साथ ही यह भी कहा था कि वो सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हो।
केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 27 जुलाई को एक हलफनामा पेश करके कोर्ट को जानकारी दी थी कि महिलाओं को निर्वस्त्र करके उन्हें नग्न घुमाने के वायरल वीडियो का मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया है।
इसके साथ ही केंद्र ने कोर्ट से यह भी कहा था कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के प्रति केंद्र की नीति शून्य-सहिष्णुता की है। केंद्र ने शीर्ष अदालत से यह भी मांग की कि वह वायरल वीजियो केस का केस 6 महीने की अवधि के भीतर मणिपुर के बाहर खत्म करने की इजाजत चाहती है।
केंद्र की ओर से पेश किये गये हलफनामे में कहा गया था कि किसी भी मुकदमे को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की शक्ति केवल माननीय न्यायालय के पास है और इसलिए केंद्र सरकार माननीय न्यायालय से अनुरोध कर रही है कि वह इस संबंध में आदेश पारित करे ताकि मुकदमे को राज्य के बाहर स्थानांतरित किया जा सके और सीबीआई 6 महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल करके कोर्ट में चार्जशीट दायर कर सके।
इसके साथ ही केंद्र के हलफनामे में यह भी कहा गया था कि कि मणिपुर में पुलिस थाना प्रभारी के लिए ऐसे सभी मामलों की तुरंत पुलिस महानिदेशक को रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया गया है।