Vijay Diwas:भारतीय सेना के पराक्रम का वह दिन जब पाकिस्तानी सेना के कमांडर के आंखों से आंसू बह निकले

By अनुराग आनंद | Updated: December 15, 2019 14:47 IST2019-12-15T14:41:52+5:302019-12-15T14:47:40+5:30

पूर्वी पाकिस्तान में भूखमरी और गरीबी का भी बोलबाला था। ऐसे वक्त में जब पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के लोगों व वहां के नेताओं पर जुल्म बढ़ने लगा तो हिंदुस्तान की सत्ता हरकत में आ गई। दिल्ली की सत्ता इंदिरा गांधी के हाथों में थी। पाकिस्तान द्वारा बंग्लादेसी आंदोलन को बढ़ावा देने के आरोप में जब भारत को घेरा जाने लगा तो इंदिरा ने तय किया कि हर हाल में पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को आजादी मिलनी चाहिए।

Vijay Diwas: When Indian force and indira government decided defeated Pakistan and surrender 93000 pakistani army for bangladesh freedom | Vijay Diwas:भारतीय सेना के पराक्रम का वह दिन जब पाकिस्तानी सेना के कमांडर के आंखों से आंसू बह निकले

Vijay Diwas:भारतीय सेना के पराक्रम का वह दिन जब पाकिस्तानी सेना के कमांडर के आंखों से आंसू बह निकले

Highlightsपाकिस्तानी एयर फोर्स ने 3 दिसंबर को भारत पर हमला कर दिया तो भारत भी इस युद्ध में कूद पड़ा।यह एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध की वजहों से इतिहास में भारतीय सेना का पराक्रम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया।

पाकिस्तान में 1970 के दशक में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। 313 सीटों वाली संसद में मुजीब के समर्थन में कुल 167 सीट आए थे। बहुमत होने के बावजूद राष्ट्रपति याहिया खान मुजीब की सरकार नहीं बनने देना चाहते थे। यह वही वक्त था जब पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों के बीच गहरी खाई पैदा हो गई थी। पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों की औसत आय पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की तुलना में ज्यादा थी। 

यही नहीं पूर्वी पाकिस्तान में भूखमरी और गरीबी का भी बोलबाला था। ऐसे वक्त में जब पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के लोगों व वहां के नेताओं पर जुल्म बढ़ने लगा तो हिंदुस्तान की सत्ता हरकत में आ गई। दिल्ली की सत्ता इंदिरा गांधी के हाथों में थी। पाकिस्तान द्वारा बंग्लादेसी आंदोलन को बढ़ावा देने के आरोप में जब भारत को घेरा जाने लगा तो इंदिरा ने तय किया कि हर हाल में पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को आजादी मिलनी चाहिए।

बीबीसी के मुताबिक, इसके लिए इंदिरा गांधी ने भारत सेना के उस समय के सेना अध्यक्ष मानेकशॉ से बंग्लादेश को आजाद कराने के बारे में राय मांगी। मानेकशॉ ने इंदिरा गाँधी से कुछ समय देने को कहा था। इसके बाद जब पाकिस्तानी एयर फोर्स ने 3 दिसंबर को भारत पर हमला कर दिया तो भारत भी इस युद्ध में कूद पड़ा। यह एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध की वजहों से इतिहास में भारतीय सेना की पराक्रम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया। 

यह बात, 14 दिसंबर को भारतीय सेना के हाथ एक गुप्त संदेश मिला कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इसके बाद भारतीय सेना ने कार्रवाई करते हुए उस भवन पर बम गिराए। बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों ने भवन पर बम गिरा कर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी गई। इस हमले ने पाकिस्तानी सेना के कमर को तोड़ कर रख दिया। 

इसके बाद वह हुआ जिसका अंदाजा खुद पाकिस्तान को भी नहीं होगा। पूर्वी पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाज़ी के पास अब कोई उपाय नहीं रह गया, सिवाय इसके कि वह भारतीय सेना के आगे नतमस्तक हो जाएं। 16 दिसंबर की सुबह सवा नौ बजे जनरल जैकब को मानेकशॉ का संदेश मिला कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुँचें। पूर्वी पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाज़ी को पता चला कि सरेंडर कराने के लिए भारत की तरफ से एक सेना के अधिकारी आ रहे हैं तो रिसीव करने के लिए उसने एक कार ढाका हवाई अड्डे पर भेजी।

जैकब कार से छोड़ी दूर ही आगे बढ़े थे कि मुक्ति बाहिनी के लोगों ने उन पर फ़ायरिंग शुरू कर दी। इस हमले से बचाने के लिए जैकब को अपना परिचय बताना पड़ा कि हम भारतीय सेना से हैं। इसके बाद जैकब ने नियाज़ी को आत्मसमर्पण की शर्तें पढ़ कर सुनाई। नियाज़ी की आँखों से आँसू बह निकले। उन्होंने कहा, "कौन कह रहा है कि मैं हथियार डाल रहा हूँ।" लेकिन, इन सबके बाद आखिरकार नियाजी को हार मानना ही पड़ा। इसी युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 93000 सेना को आत्मसमर्पण के लि एमजबूर कर दिया था।  

Web Title: Vijay Diwas: When Indian force and indira government decided defeated Pakistan and surrender 93000 pakistani army for bangladesh freedom

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