Tungabhadra dam: तुंगभद्रा नदी पर बने 71 साल पुराने बांध का 19वां गेट रविवार दोपहर टूट गया। इससे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के लाखों लोगों को संभावित बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। बेंगलुरू से करीब 350 किलोमीटर दूर बांध का गेट टूट जाने के बाद पानी तेजी से निचले इलाकों में फैल गया। इसके बाद उत्तरी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुर्नूल और नंदयाल के निचले इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
कृष्णा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए सतर्क रहने की सलाह जारी की गई है। एपीएसडीएमए के प्रबंध निदेशक आर कुर्मानाध ने बताया कि चेन की एक कड़ी टूटने के कारण द्वार संख्या 19 पानी के बहाव में बह गया। यह हादसा होसपेट में शनिवार रात को हुआ। बाढ़ का लगभग 35,000 क्यूसेक पानी बह गया और कुल 48,000 क्यूसेक पानी नीचे की ओर छोड़ा जाएगा। एपीएसडीएमए ने कहा है कि कुरनूल जिले के कोसिरी, मंत्रालयम, नंदावरम और कौथलम के लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। कृष्णा नदी के तटों के पास रह रहे लोगों को नदी को पार न करने की सलाह भी दी गई है।
कब बना तुंगभद्रा बांध (Tungabhadra dam)
1953 में 133TMCFT (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) की अधिकतम भंडारण क्षमता वाले तुंगभद्रा बांध का उद्घाटन किया गया था। शनिवार, 11 अगस्त 2024 तक इसमें इसमें 100TMCFT पानी था। आने वाले दिनों में पानी का स्तर और बढ़ सकता है। तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारत में बहने वाली एक पवित्र नदी हैं। यह कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश में बहती हुई आन्ध्र प्रदेश में एक बड़ी नदी कृष्णा नदी में मिल जाती है। तुंगभद्रा बांध इसी नदी पर बना है जिसे पंपा सागर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा पत्थर की चिनाई वाला बांध है और देश के केवल दो गैर-सीमेंट बांधों में से एक है।
हादसे के बाद संभावित बाढ़ से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया गया है। स्थिति अस्थिर बनी हुई है और स्थानीय निवासियों को नियमित रूप से नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सूचित रहने की सलाह दी जा रही है।