नई दिल्ली: सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने द्वारका एक्सप्रेसवे का वीडियो सोशल मीडिया साईट एक्स पर जारी करते हुए इसे इंजिनियरिंग का चमत्कार बताया। तीन मिनट 20 सेकेंड के इस वीडियो में द्वारका एक्सप्रेसवे के ओवर ब्रिज, टनल्स और अंडरपासेस को दिखाया गया है। ये एक्सप्रेस वेदिल्ली को हरियाणा से जोड़ता है। ये देश का पहला एलिवेटेड एक्सप्रेस वे है। वीडियो में बताया गया है कि चार पैकेज वाले इस राजमार्ग का कुल लेन लंबाई 563 किमी है। एनएच-8 पर शिवमूर्ति से शुरू होती ये सड़क खेतकी दौला टोल प्लाजा पर खत्म होती है।
बताया गया है कि इस परियोजना के निर्माण में पहली बार 1000 से ज्यादा पेड़ों को एक से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 2 लाख मिट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है। ये एफिल टॉवर के निर्माण में लगे स्टील से 30 गुना ज्यादा है। इसमें 20 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है जो बुर्ज खलीफा के निर्माण में लगे सीमेंट से 6 गुना ज्यादा है।
हालांकि ये एक्सप्रेस वे विवादों में भी है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से द्वारका एक्सप्रेसवे निर्माण में वित्तीय अनियमितता का जिक्र किया गया है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्सप्रेसवे बनाने पर 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर खर्च की मंजूरी दी गई। जबकि प्रति किलोमीटर एक्सप्रेसवे बनाने पर 251 करोड़ खर्च हो रहे हैं। इसके बाद से ही सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय विपक्ष के निशाने पर है।
हाल ही में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जवाब देते हुए कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में कोई घोटाला नहीं हुआ बल्कि इसमें हमने सूझबूझ से पैसे बचाए हैं। उन्होंने कैग रिपोर्ट पर कहा, "द्वारका एक्सप्रेसवे पर घोटाले की बातें गलत हैं। द्वारका एक्सप्रेस वे पर 12 फीसदी पैसे बचाए गए हैं। इस रिपोर्ट का आकलन सही नहीं है। द्वारका एक्सवेसवे 29 किमी का है। हमने जो कैबिनेट नोट भेजा था उसमें लिखा था कि हम 5 हजार किमी टू लेन रोड बनाएंगे और उसकी कीमत 91 हजार करोड़ रुपए होगी। इसमें से फ्लाईओवर और रिंगरोड की कीमत इस्टीमेटेड डीपीआर बनने के बाद तय करने की बात हुई थी। समस्या यह है कि जिसे वह 29 किमी बोल रहे हैं, वह 230 किमी है।"
गडकरी ने बताया कि इसमें कुल 6 टनल हैं और यह 563 किमी का रोड है। जो टेंडर निकाला गया था, वह 206 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर का था। हमने इस प्रोजेक्ट पर 12 फीसदी कम खर्च किया है। हमारे अधिकारियों ने यह बात सीएजी के सामने चर्चा में रखी थी। लेकिन हमसे गलती यह हो गई कि हमने यह बात लिखित में उन्हें नहीं दी।