तूतीकोरिन स्टरलाइट कॉपर इकाई मामले में वेदांता की अंतरिम अर्जी उच्चतम न्यायालय में खारिज
By भाषा | Published: December 2, 2020 02:35 PM2020-12-02T14:35:36+5:302020-12-02T14:35:36+5:30
नयी दिल्ली, दो दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड का वह अंतरिम आवेदन खारिज कर दिया जिसमें तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइज कॉपर इकाई का निरीक्षण करने की अनुमति मांगी गई थी।
यह इकाई मई 2018 से ही प्रदूषण को लेकर बंद है और प्रदूषण का स्तर जांचने के लिए चार हफ्ते इसका परिचालन करना होगा।
वेदांता ने न्यायालय से तीन महीने के लिए इकाई उसे सौंपने का अनुरोध करते हुए कहा कि कंपनी को दो महीने का समय इकाई को चालू करने के लिए चाहिए और उसे एक महीने तक इकाई का परिचालन करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि यह पता किया जा सके कि प्रदूषण हो रहा है या नहीं।
वेदांता की अंतरिम अर्जी का विरोध करते हुए तमिलनाडु सरकार ने न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष कहा कि संयंत्र लगातार प्रदूषण फैला रहा है।
खनन कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से कहा कि ‘ यह गलत इरादे से संयंत्र को बंद करने का मामला है। वेदांता देश की जरूरत का 36 प्रतिशत तांबे का उत्पादन करता है।
सिंघवी ने पीठ से कहा, ‘‘हमें संयंत्र को चार हफ्ते तक चलाने की अनुमति दें और यह साबित हो जाएगा कि क्या हम निर्धारित सीमा से अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं।’’
संयंत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोनसाल्विज ने दावा किया कि संयंत्र को परिचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वहां का पानी प्रदूषित हो गया है और वहां के रहने वाले लोग कैंसर जैसी कई बीमारियों का सामना कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि वेदांता की अंतरिम अर्जी को अनुमति नहीं दी जा सकती और मामले पर अंतिम सुनवाई शीर्ष अदालत में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू होने के बाद होगी।
वेदांता ने अगस्त में वेंदाता ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने तूतीकोरीन में स्टरलाइट के संयंत्र को खोलने की अनुमति देने से इनकार करते हुए तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मई 2018 में संयंत्र बंद करने के दिए आदेश को बरकरार रखा था।
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने कहा कि संयंत्र को दोबारा खोलने की वेदांता की याचिका आठ बार अदालत में खारिज हो चुकी है।
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