वाराणसी: शवों को गलियों में करना पड़ रहा है अंतिम संस्कार के लिए इंतजार, लाशों को नाव से ले जाया जा रहा है घाट पर

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 26, 2022 16:53 IST2022-08-26T16:41:12+5:302022-08-26T16:53:35+5:30

काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया है और उसकी संकरी गलियों में भी गंगा के पानी का प्रवेश हो चुका है। इस कारण शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए आ रहे लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

Varanasi: Dead bodies have to be carried in the streets waiting for the last rites, dead bodies are being taken by boat to the ghat | वाराणसी: शवों को गलियों में करना पड़ रहा है अंतिम संस्कार के लिए इंतजार, लाशों को नाव से ले जाया जा रहा है घाट पर

मणिकर्णिका घाट

Highlightsगंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण मणिकर्णिका घाट की सारी सीढ़ियां पानी में डूब चुकी हैंकाशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की गलियों में भी गंगा का पानी प्रवेश कर चुका हैपरिजन अपने मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए शवों को नावों से लेकर जा रहे हैं

वाराणसी: काशी का महाश्मशान इस समय गंगा की प्रलय धारा के कारण सहमा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस समय गंगा पूरे उफान हैं। बढ़ते जलस्तर के कारण मणिकर्णिका घाट और सिंधिया घाट की सारी सीढ़ियां पानी में डूब चुकी हैं। इसके अलावा गंगा में लगातार बढ़ाव के कारण वहां रहने वाले लोगों के साथ-साथ अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों के लिए भी भारी समस्या पैदा हो गई है।

जानकारी के मुताबिक काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया है और उसकी संकरी गलियों में भी गंगा के पानी का प्रवेश हो चुका है। इस कारण शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए आ रहे लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

बताया जा रहा है कि काशी के डोम राजा के परिवार ने महाश्मशान में चिताएं जलने की परंपरा को जारी रखने के लिए चिताभूमि को घाट के किनारे स्थित भवन की छत पर शिफ्ट कर दिया है। लेकिन चूंकि छत पर जगह बहुत कम है, इस कारण वहां शव जलाए जाने में भी भारी समस्या आ रही है। अंतिम क्रियाकर्म में होने वाली परेशानी इस कदर बढ़ गई है कि लोगों को अपने मृत परिजनों का शव छत तक ले जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।

ऐसा नहीं है कि बाढ़ और घाट डूबने के कारण केवल शव लेकर आने वाले परिजनों को ही परेशानी हो रही है। छत पर चिता जलाने के लिए जिन लकड़ियों से यह कार्य संपन्न कराया जाता है, उन्हें भी छत पर ले जाने में भी लकड़ी व्यवसायियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और वो भी नाव के सहारा थोड़ी-थोड़ी लकड़ियां चिताभूमि तक पहुंचा पा रहे हैं।

इस संबंध में मणिकर्णिका घाट पर चिता के लिए लकड़ी बचने का काम करने वाले अज्जू शाह ने बताया कि स्थिति रोज बिगड़ती ही जा रही है। छत पर किसी तरह से एक साथ दस शवों को जलाया जा रहा है। जिस कारण बाकि शवों को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि इस मौसम में लकड़ियां भी गीली हैं, जिसके कारण एक शव जलने में कम से कम 3 से 4 घंटे लग रहे हैं। अब इसे आप केवल संयोग ही कहें कि अभी उतने ज्यादा शव नहीं आ रहे हैं, इस कारण अभी तो किसी तरह से काम चल जा रहा है लेकिन जिस दिन ज्यादा शव आ गये तो असल परेशानी सामने आयेगी। अभी तो छतों पर किसी तरह से शवों को जलाया जा रहा है लेकिन अगर गंगा का पानी ऐसे ही बढ़ता रहा तो शवों को घंटों इंतजार करना पड़ेगा। 

Web Title: Varanasi: Dead bodies have to be carried in the streets waiting for the last rites, dead bodies are being taken by boat to the ghat

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