SC/ST के लिए मंदिर में पूजा कराने से मना नहीं कर सकते सवर्ण पुजारी- उत्तराखंड हाईकोर्ट
By भारती द्विवेदी | Published: July 12, 2018 05:51 PM2018-07-12T17:51:47+5:302018-07-12T17:51:47+5:30
हाईकोर्ट में साल 2016 में याचिका दायर किया गया था। ये पीआईएल अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति समुदाय दायर किया गया था।
नई दिल्ली, 12 जुलाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि ऊंची जाति के पुजारी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों की ओर से होनेवाले अनुष्ठान को करने से मना नहीं कर सकते हैं। जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस लोकपाल सिंह ने ये एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये कहा है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य के ऊंची जाति के पुजारी निचली जाति के सदस्यों द्वारा होने वाले धार्मिक समारोह, पूजा या अनुष्ठान को करने से इंकार नहीं कर सकते हैं। बेंच ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा- 'सभी व्यक्तियों, चाहे वो किसी भी जाति के हो, बिना भेदभाव या कोई भी व्यक्ति जिसकी ट्रेनिंग हुई हो, चाहे वो किसी भी जाति का हो, वो पुजारी बन सकता है। उत्तराखंड राज्य में किसी भी मंदिर में प्रवेश करने की उन्हें अनुमति है।'
अदालत ने यह भी कहा कि मंदिरों के अंदर पुजारी के रूप में सेवा करने वाली अन्य जातियों के सदस्यों पर कोई रोकटोक नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है- 'यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी उचित तरीके से प्रशिक्षित और योग्य व्यक्ति को मंदिरों में अपनी जाति के बावजूद पुजारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।'
हाईकोर्ट में साल 2016 में याचिका दायर किया गया था। ये पीआईएल अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति समुदाय दायर किया गया था। याचिकाकर्ता, हरिद्वार में हर की पौरी में धर्मशाला के संरक्षक हैं। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि स्टेकहोर्ल्ड्स ने आपस में इस मुद्दे को हल करें। हालांकि इस मुद्दे पर 15 जून को फैसला सुनाया गया था, लेकिन पुजारियों से संबंधित आदेश गुरुवार को दिया गया है।
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