उत्तराखंड में हरेला पर्व के मौके पर रोपे जाएंगे आज 10 लाख पौधे, सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने की सभी से पेड़ लगाने की अपील
By प्रिया कुमारी | Published: July 16, 2020 09:45 AM2020-07-16T09:45:25+5:302020-07-16T11:00:10+5:30
उत्तराखंड में हरेला पर्व की शुरुआत हो चुकी है, इस मौके पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से ये अपील किया है कि एक पेड़ जरूर लगाएं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से अपील किया है कि हरेला पर्व के मौके पर सभी एक पौधा जरूर लगाए। साथ ही उन्होंने हरेला पर्व से जुड़ने की अपील करते हुए ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री कहते हैं कि 16 जुलाई, हरेला पर्व के पावन अवसर पर हर व्यक्ति 01 पौधा अवश्य लगाए और वृक्षारोपण के साथ ही जलस्रोतों के संरक्षण का भी संकल्प लें। इस बार कोविड-19 के कारण हरेला पर्व पर पहले की तरह कार्यक्रमों का आयोजन सम्भव नही है, परंतु हमारा पर्यावरण संरक्षण का अभियान निरंतर जारी रहना चाहिए।
16 जुलाई, #हरेला पर्व के पावन अवसर पर हर व्यक्ति 01 पौधा अवश्य लगाए और वृक्षारोपण के साथ ही जलस्रोतों के संरक्षण का भी संकल्प लें। इस बार कोविड-19 के कारण हरेला पर्व पर पहले की तरह कार्यक्रमों का आयोजन सम्भव नही है, परंतु हमारा पर्यावरण संरक्षण का अभियान निरंतर जारी रहना चाहिए। pic.twitter.com/sxTKQUfHco
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) July 15, 2020
हरेला पर्व पर गुरुवार को वन विभाग करीब 7.5 पेड़ लगाएगा। करीब 2.5 लाख पौधे उद्दान विभाग की ओर से लगाए जाएंगे। गुरुवार से शुरू होने वाला ये त्योहार 15 अगस्त तक चलेगा। प्रमुख वन संरक्षक जयराज के मुताबिक राज्यपाल बेबी रानी मौर्य राजभवन और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने आवास से हरेला अभियान की शुरुआत करेंगे
क्या होता है हरेला पर्व
हरेला एक हिंदू त्यौहार है जो मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है। चैत्र महीने में पहले दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है। श्रावण महीने में सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है। आश्विन महीने में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है। लेकिन श्रावण मास में मनाये जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता तथा समूचे कुमाऊं में महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है।