उत्तराखंड सरकार विरोध प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव करने वाले लोगों पर सख्त, बजट सत्र में 'विधेयक' लाएगी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: February 25, 2024 10:16 AM2024-02-25T10:16:14+5:302024-02-25T10:17:57+5:30
विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार 26 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में 'उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक' लाएगी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
देहरादून: उत्तराखंड सरकार विरोध प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव करने वाले लोगों पर सख्ती करने जा रही है। विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार 26 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में 'उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक' लाएगी।
देहरादून: विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार 26 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में 'उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक' लाएगी।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 25, 2024
इस बिल के तहत विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के…
इस बिल के तहत विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के दौरान हुए नुकसान की वसूली उपद्रव में शामिल आरोपियों से की जाएगी। नुकसान की भरपाई के लिए सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा।
बता दें कि इससे पहले उत्तर-प्रदेश की योगी सरकार ऐसा विधेयक ला चुकी है। उत्तर प्रदेश में 23 सितम्बर 2022 को उत्तर प्रदेश लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ पारित किया गया था। इस कानून के तहत गठित प्राधिकरण को सिविल कोर्ट की शक्ति प्रदान की गई। यूपी में इस कानून का इस्तेमाल भी हो चुका है। अमरोहा में दिसंबर 2022 में उत्तरप्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा न्यायाधिकरण मेरठ ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सी.ए.ए.) के विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने के मामले में 4.27 लाख रुपए के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश जारी किया था और प्रत्येक व्यक्ति से 4971 का जुर्माना वसूलने का आदेश दिया था। देश में यह पहला मामला था।
हल्द्वानी हिंसा के बाद धामी सरकार का फैसला
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में आठ फरवरी को अवैध मदरसे के ध्वस्तीकरण के दौरान भड़की हिंसा के बाद ये फैसला लिया गया है। बनभूलपुरा में स्थित 'मलिक का बगीचा' में अवैध मदरसा और नमाज स्थल के ध्वस्तीकरण के दौरान प्रशासनिक अमले पर स्थानीय लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था। इस दौरान भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने छतों से पथराव किया, पेट्रोल बम फेंक कर वाहनों में आग लगाई और बनभूलपुरा पुलिस थाने को फूंक दिया था। बिगड़ते हालात को संभालने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया जिसमें छह दंगाइयों की मौत हो गयी थी।