उत्तराखंड : गरतांग गली विकृत करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

By भाषा | Updated: September 9, 2021 15:43 IST2021-09-09T15:43:01+5:302021-09-09T15:43:01+5:30

Uttarakhand: FIR registered against those who distort Gartang street | उत्तराखंड : गरतांग गली विकृत करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

उत्तराखंड : गरतांग गली विकृत करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

देहरादून, नौ सितंबर भारत—चीन सीमा के पास उत्तरकाशी जिले की नेलोंग घाटी में स्थित 150 साल पुराने सीढीनुमा पुल गरतांग गली को 59 साल बाद पर्यटकों के लिए फिर से खोले जाने के एक महीने के भीतर ही उसे नुकसान पहुंचाने वाले अज्ञात लोगों के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की गई है।

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा, ‘‘घटना के संबंध में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और पुल पर वनकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले लोगों के​ खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।’’

पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से के मरम्मत की जानकारी देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसी चीजों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यह कार्रवाई हाल में सोशल मीडिया पर आई उन तस्वीरों और वीडियो के बाद की गयी है जिनमें पर्यटक रेलिंग पर अपना नाम लिखकर 11,000 फीट की उंचाई पर स्थित लकड़ी के ऐतिहासिक पुल को नुकसान पहुंचाते तथा उसके किनारों पर करतब करते दिखाई दे रहे हैं।

इस अनोखे पुल को नुकसान पहुंचाने के प्रयास की निंदा करते हुए उत्तरकाशी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र मतूडा ने गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को पत्र लिखकर मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह पुल गंगोत्री पार्क के अधिकार क्षेत्र में आता है।

पर्यटन मंत्री ने पुल का स्वरूप बिगाड़ने के प्रयास को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और अधिकारियों से इनकी पुनरावृत्ति रोकना सुनिश्चित करने को कहा है।

अतीत में भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही ऐतिहासिक गरतांग गली की 150 मीटर लंबी सीढियों की मरम्मत का काम जुलाई में 64 लाख रुपये की लागत से पूरा होने के बाद ​अगस्त में उसे पर्यटकों के लिए खोला गया था। कोविड के बावजूद इतने ही दिनों में करीब 700 पर्यटक इस पुल को देखने पहुंचे हैं।

गरतांग गली की ये सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना मानी जाती हैं और इंसान की ऐसी कारीगरी और हिम्मत की मिसाल देश के अन्य हिस्सों में देखने को नहीं मिलती। पेशावर से आए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

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Web Title: Uttarakhand: FIR registered against those who distort Gartang street

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