सीएम से बदसलूकी पड़ी महंगी, जेल के बाद नौकरी से मिला निकाला
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 30, 2018 12:36 PM2018-06-30T12:36:31+5:302018-06-30T12:36:31+5:30
25 साल से उत्तरकाशी में काम कर रही एक महिला टीचर पति की मौत के बाद राजधानी देहरादून में अपने बच्चों के पास तबादला की गुहार लगाने मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंची।
देहरादून, 30 जून: उत्तराखंड के सीएम से बदलसूकी एक महिला को महंगी पड़ गई है। 25 साल से उत्तरकाशी में काम कर रही एक महिला टीचर पति की मौत के बाद राजधानी देहरादून में अपने बच्चों के पास तबादला की गुहार लगाने मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंची। तो सीएम के जवाब पर जहां महिला भड़क गईं, वहीं मुख्यमंत्री भी अपना आपा खो बैठे। खबर के अनुसार उन्होनें महिला को पहले जेल भिजवाया और फिर निलंबित करा दिया गया है।
शुक्रवार त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक महिला टीचर ने उनसे तबादले की अपील की और काफ़ी आवेश में आ गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री भी भड़क गए और महिला को निलंबित करने और हिरासत में लेने का आदेश दे दिया।
शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने कहा कि वह पिछले 25 साल से दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही है और अब अपने बच्चों के साथ रहना चाहती हैं। उसमे कहा कि उसके पति का निधन हो गया है ऐसे में अपने बच्चों को अकेला देहरादून नहीं छोड़ सकती है। वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा यह पूछे जाने पर कि नौकरी लेते वक्त उन्होंने क्या लिख कर दिया था? उत्तरा ने गुस्से में जवाब दिया कि उन्होंने यह लिखकर नहीं दिया था कि जीवन भर वनवास में रहेंगी।
जिस पर सीएम ने सभ्यता से बात रखने को कहा लेकिन उसने बदसलूकी शुरू कर दी , जिसके बाद ये मामला बढ़ गया है। गौरतलब है कि उत्तरा बहुगुणा पंत के अलावा कई अन्य सरकारी कर्मचारी भी दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अपने ट्रांसफर की गुहार लगाने जनता दरबार पहुंचे थे, लेकिन मुख्यमंत्री रावत ने साफ किया कि यह कार्यक्रम ऐसी बातों को उठाने के लिए उचित मंच नहीं है और फिर थोड़ी देर में इस मामले ने तूल पकड़ लिया।