उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफे की पेशकश की, कल विधायक दल की बैठक, जानें सीएम रेस में कौन शामिल
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 2, 2021 09:12 PM2021-07-02T21:12:54+5:302021-07-02T22:15:57+5:30
तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की।
नई दिल्लीः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। सीएम तीरथ ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपना पत्र सौंपा है।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफे में जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए का हवाला देते हुए कहा है कि वे अगले 6 महीने में चुनकर दोबारा नहीं आ सकते, इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे अपने पत्र में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि मैं 6 महीने के अंदर दोबारा नहीं चुना जा सकता, ये एक संवैधानिक बाध्यता है।
भाजपा विधानमंडल दल की बैठक
उत्तराखंड के भाजपा विधानमंडल दल की बैठक शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में होगी। पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में यह बैठक अपराह्न तीन बजे होगी। उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दी गयी है।
उत्तराखंड के राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा
इसलिए अब पार्टी के सामने मैं अब कोई संकट नहीं पैदा करना चाहता, मैं अपने पद से इस्तीफा देना चाहता हूं। आप मेरी जगह किसी नए नेता का चुनाव कर लें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री रावत ने इस्तीफे की औपचारिकता पूरी करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है।
तीरथ सिंह राहत की जगह अगला मुख्यमंत्री कौन होगा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल से समय मिलते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गवर्नर हाउस पहुंचकर आधिकारिक तौर पर गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। राज्य में अचानकर हो रहे इस सियासी उलटफेर के बीच अब कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड में तीरथ सिंह राहत की जगह अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
पहले नंबर पर सतपाल महाराज का नाम
बीजेपी आलाकमान किसे उत्तराखंड का अगला मुख्यंत्री बनाएगी। तीरथ के इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए चार नेताओं के नाम आगे चल रहे हैं। इनमें सबसे पहले नंबर पर सतपाल महाराज का नाम बताया जा रहा है।
वहीं उत्तराखंड के मुख्यंत्री के दूसरा प्रबल दावेदार रेखा खंडूरी को बताया जा रहा है, वहीं तीसरे नंबर पर पुष्कर सिंह धामी और चौथे नंबर पर धन सिंह रावत की चर्चा चल है। उत्तराखंड में अचानक हो रहे इस राजनीतिक फेरबदल के चलते बीजेपी के लिए ये फैसला करना मुश्किल है कि वह किसे सीएम का चेहरा बनाएगी।
Uttarakhand Chief Minister Tirath Singh Rawat to hold a press conference at 9:30 pm in Dehradun today. pic.twitter.com/DiTtSEQvfs
— ANI (@ANI) July 2, 2021
गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना
आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए विशेषज्ञ इस बात के भी कयास लगा रहे हैं कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा इस समय राज्य के किसी मौजूदा विधायक को ही मुख्यमंत्री बना सकते हैं। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है।
चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम का समय बचा है, ऐसे में कानून के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग के विवेक पर निर्भर करता है। उत्तराखंड में अटकलें लगाई जा रही हैं कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं।
इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली
मुख्यमंत्री रावत बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे थे। बृहस्पतिवार को देर रात उन्होंने नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री सीट रिक्त हुई है जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है। हालांकि, अभी तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की है।
ज्ञात हो कि कोरोना काल में चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग को पिछले दिनों अदालत की कड़ी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे में निर्वाचन आयोग के लिए उपचुनाव कराना इतना आसान नहीं है। हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि आम चुनाव में साल भर से कम समय शेष होने के कारण उपचुनाव कराना निर्वाचन आयोग की बाध्यता नहीं है।
राज्य में उपचुनाव कराना है या नहीं
विकासनगर से भाजपा विधायक और पूर्व प्रदेश पार्टी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा, ‘‘यह निर्णय पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में है कि राज्य में उपचुनाव कराना है या नहीं। सब कुछ निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है।’’
अगर उपचुनाव होता है तो रावत उसमें निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री के पद पर बने रह सकते हैं लेकिन प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक साल से भी कम का समय बचे होने के मददेनजर उपचुनाव होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव न होने की स्थिति में संवैधानिक संकट का हल तभी निकल सकता है जब मुख्यमंत्री रावत के स्थान पर किसी ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपी जाए जो विधायक हो।
(इनपुट एजेंसी)