कारगिल की जंग लड़ने वाले शख्स ने बेटे की कोरोना से मौत पर कहा- देश सेवा की पर सिस्टम मेरे बेटे को बचा नहीं सका
By दीप्ती कुमारी | Updated: April 30, 2021 14:01 IST2021-04-30T14:01:37+5:302021-04-30T14:01:37+5:30
देश में कोरोना से होने वाली मौतों का आकड़ा बढ़ता जा रहा है। लोग अस्पताल, ऑक्सीजन और दवाईयों के लिए भटक रहे हैं। ऐसे में कारगिल की जंग में देश के लिए लड़ने वाले हरि राम दूबे का दर्द भी अपने बेटे की मौत के बाद छलका है।

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया
लखनऊ: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में संक्रमण की दर बढ़ती जा रही है। कई जानकार दावा कर रहे हैं कि वास्तव में उत्तर प्रदेश में महामारी से मरने वालों का आकड़ा जो कागजों पर दिखाया जा रहा है, कहानी उससे कई दर्दनाक है।
उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर भी कोरोना महामारी से काफी प्रभावित है। लोग ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शहर के सभी अस्पताल कोरोना मरीजों से भरे हुए है। लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है और जानें जा रही हैं। इसी महामारी के प्रकोप के बीच सेवा से रिटायर हो चुके सूबेदार मेजर हरि राम दुबे ने भी अपना बेटा खो दिया है।
कारगिल में देश के लिए लड़ी थी जंग पर बेटे को नहीं बचा सके
इंडिया टुडे के रिपोर्ट के अनुसार कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ने वाले और सेवानिवृत हो चुके सूबेदार मेजर हरि राम दुबे ने कोविड महामारी में अपने बेटे को खो दिया है। हरि राम के 31 वर्षीय बेटे का कोरोना के कारण मंगलवार को निधन हो गया ।
सेवानिवृत सैनिक ने बताया, 'मैंने 1981 से 2011 तक अपनी मातृभूमि की सेवा की और कारगिल से बारामुला , लद्दाख और लुकुंग में तैनात रहा। मैंने बारामुला में आतंकवादियों को मार गिराया और कारगिल में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी लेकिन सिस्टम मेरे बेटे अमिताभ को नहीं बचा सका। '
यही नहीं, हरि राम दुबे की पत्नी, बेटी और बहू को आखिरी बार अपने बेटे को देखने के लिए भी घंटों इंतजर करना पड़ा। अस्पताल प्रबंधन ने हरि राम और उनके परिवार को पीपीई किट पहनने के बाद उन्हें शव देखने दिया । हरि राम ने कहा कि अपने देश की सेवा के लिए मुझे सेनाध्यक्षों द्वारा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया लेकिन अब मुझे बेटे की मौत के बाद पेपर्स के लिए यहां-वहां दौड़ना पड़ रहा है ।
सीआरपीएफ से रिटायर हुए कमांडेंट की बहन की मौत
कानपुर के ही रहने वाले चंद्रपाल की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से सहायक कमांडेंट के रूप में सेवानिवृत हो चुके हैं। उनकी बहन सावित्री की बुधवार को कोरोना के कारण मृत्यु हो गई।
उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को सावित्री को सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो उसे कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन अस्पताल की ओर से उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई । उन्होंने आगे कहा, 'मैंने श्रीनगर में अपनी सेवा दी लेकिन मेरी बहन का ख्याल किसी ने नहीं रखा । हमें बाद में पता चला कि उनकी मौत हो गई थी।'
सावित्री के बेटे ने बताया कि उनका ऑक्सीजन स्तर बहुत कम हो गया था और उन्हे बाइलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर पर रखा गया। बेटे के अनुसार, 'हमने अस्पताल के कर्मचारियों को उनकी बेहतर सेवा के लिए ज्यादा पैसे भी दिए लेकिन उन्होंने दावा कि मौत की सूचना देने के लिए फोन करने की कई बार उनकी ओर से कोशिश की गई थी।'