Birth Certificate Case: सपा नेता आजम खान, पत्नी तंजीम फातिमा और पुत्र अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा, जानें क्या है पूरा मामला
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 18, 2023 03:14 PM2023-10-18T15:14:36+5:302023-10-18T17:49:48+5:30
Dual Birth Certificate Case: उत्तर प्रदेश के रामपुर की अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को दोषी ठहराया और सात साल जेल की सजा सुनाई।
Dual Birth Certificate Case: समाजवार्दी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को बड़ा झटका लगा है। "दो जन्म प्रमाण पत्र" मामले में सपा के कद्दावर नेता आजम खान, पत्नी तंजीम फातिमा और पुत्र अब्दुल्ला आजम को 7-7 साल की सजा हुई है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने आजम खान के वकील की ओर से केस को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की अर्जी खारिज कर दी। 3 जनवरी, 2019 को भाजपा विधायक आकाश सक्सेना द्वारा शुरू किए गए मामले में आरोप लगाया गया है कि आजम खान ने अपने बेटे के लिए अलग-अलग जन्म तिथियों के साथ दो जन्म प्रमाण पत्र बनाए है। एक रामपुर नगर पालिका से और दूसरा लखनऊ से है।
#WATCH | Rampur, Uttar Pradesh: After the sentencing of SP leader Azam Khan, his wife Tazeen Fatima and his son Abdullah Azam Khan in the fake birth certificate case, Azam Khan says, "There is a difference between decision & justice. This is just a decision..." pic.twitter.com/rvBbTI68v4
— ANI (@ANI) October 18, 2023
आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला और उनकी पत्नी तज़ीन फातमा सभी कार्यवाही के दौरान अदालत में उपस्थित हुए। कानून-व्यवस्था की स्थिति पर खतरे के कारण पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर था और अदालत परिसर के आसपास काफी संख्या में बल तैनात किया गया था।
मामला अब्दुल्ला आजम खान का दो बार जन्म प्रमाण पत्र जारी होने से जुड़ा है। अब्दुल्ला आजम खान पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट और विदेशी दौरे हासिल करने और सरकार से संबंधित उद्देश्यों के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का उपयोग करने का आरोप है। दोनों प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से और पूर्व नियोजित साजिश के तहत जारी किये गये थे।
रामपुर नगर पालिका द्वारा 28 जून 2012 को जारी किए गए पहले जन्म प्रमाण पत्र में रामपुर को अब्दुल्ला आजम खान का जन्मस्थान दिखाया गया था। जनवरी 2015 में जारी किए गए दूसरे जन्म प्रमाण पत्र में लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया। अब्दुल्ला आजम खान और उनके माता-पिता के खिलाफ धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
रामपुर की एक अदालत ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री आजम खां, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को वर्ष 2019 के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल की जेल की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष के वकील अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया, "एमपी—एमएलए अदालत के मजिस्ट्रेट शोभित बंसल ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां, उनकी पत्नी और बेटे को सात साल कैद की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। फैसले के बाद, तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और अदालत से ही जेल भेज दिया गया।"
सजा सुनाए जाने के बाद बाहर निकले आजम खां से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ‘‘आज फैसला हुआ है, फैसले में और इंसाफ में फर्क होता है।’’ सक्सेना ने बताया कि रामपुर से मौजूदा भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने तीन जनवरी 2019 को गंज पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था।
उन्होंने बताया कि इसमें आरोप लगाया गया था कि खां और उनकी पत्नी तजीन ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद की थी। उन्होंने बताया कि इसमें आरोप लगाया गया है कि इनमें से एक प्रमाणपत्र लखनऊ से जबकि दूसरा रामपुर से बनवाया गया था।
सक्सेना ने बताया कि आरोप पत्र के मुताबिक, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि एक जनवरी 1993 बताई गई थी। उन्होंने बताया कि वहीं दूसरे प्रमाण पत्र से पता चला कि उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार सीट से जीतने वाले अब्दुल्ला को वर्ष 2008 में एक लोक सेवक को गलत तरीके से रोकने के लिए उस पर हमला करने के आरोप में मुरादाबाद की एक अदालत ने पहले ही दोषी ठहराया था। इस साल फरवरी में दोषी ठहराए जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद अब्दुल्ला को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि अब्दुल्ला ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिये उच्च न्यायालय में अपील की थी जिसे नामंजूर कर दिया गया था।
अदालत के निर्णय के बाद आजम, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम को अदालत से सीधे जेल ले जाया गया। रामपुर जेल के मुख्य द्वार के सामने आजम ने संवाददाताओं से कहा, ''पूरे शहर को मालूम था कि क्या फैसला होना है। आपके चैनल पर भी चल रहा था की कितनी सजा होनी है, शायद आपने फैसला पढ़ लिया होगा। हमें आज पता चला है।''
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 के प्रावधानों के तहत दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और सजा काटने के बाद अगले छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी।
मामले के वादी रामपुर से मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने अदालत के निर्णय को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अन्याय के खिलाफ जंग आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि आजम खां को बेटे अब्दुल्ला को विधायक बनाने की जिद उनके लिये नुकसानदेह साबित हो गयी। बचाव पक्ष की ओर से 19 गवाह पेश किये गये लेकिन अदालत में उनके बयान सही साबित नहीं हो सके।