उत्तर प्रदेश सड़क हादसाः 13000 से अधिक दुर्घटना, 7700 मौत, 1 जनवरी से 20 मई आंकड़े, दोपहर और शाम में अधिक घटनाएं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 25, 2025 15:05 IST2025-05-25T15:05:02+5:302025-05-25T15:05:56+5:30

Uttar Pradesh road accident: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में 46,052 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 24,118 मौतें हुईं और 34,665 लोग घायल हुए।

Uttar Pradesh road accident More than 13000 accidents 7700 deaths figures from 1 January to 20 May, know 2023 and 2024 figures here | उत्तर प्रदेश सड़क हादसाः 13000 से अधिक दुर्घटना, 7700 मौत, 1 जनवरी से 20 मई आंकड़े, दोपहर और शाम में अधिक घटनाएं

सांकेतिक फोटो

Highlights 2023 में 44,534 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 23,652 मौतें हुईं और 31,098 घायल हुए। 60 प्रतिशत से अधिक अपराह्न (12 बजे से शाम छह बजे तक) और शाम (छह बजे से रात नौ बजे तक) के समय हुईं। ‘‘कार्यालय समय खत्म होने बाद यातायात जाम और सूर्यास्त के बाद दृश्यता में कमी’’ रहा।

लखनऊः उत्तर प्रदेश में इस साल एक जनवरी से 20 मई तक करीब पांच माह के बीच 13,000 से अधिक सड़क हादसों में लगभग 7,700 लोगों की जान चली गई और राज्य-स्तरीय एक विश्लेषण में सामने आया कि अपराह्न और शाम का समय सड़क पर चलने वालों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है। सड़क हादसों को लेकर ये निष्कर्ष उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा और जागरूकता प्रकोष्ठ द्वारा संकलित समय-आधारित विश्लेषणात्मक रिपोर्ट का हिस्सा हैं, जिसमें आईआरएडी (एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस), ईडीएआर (ई-विस्तृत दुर्घटना रिकॉर्ड) और राज्य के अपने सड़क सुरक्षा डैशबोर्ड से प्राप्त डेटा का उपयोग किया गया है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में 46,052 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 24,118 मौतें हुईं और 34,665 लोग घायल हुए।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसकी तुलना में 2023 में 44,534 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 23,652 मौतें हुईं और 31,098 घायल हुए। वहीं, 2025 के नवीनतम विश्लेषण से पता चलता है कि सभी दुर्घटनाओं में से 60 प्रतिशत से अधिक अपराह्न (12 बजे से शाम छह बजे तक) और शाम (छह बजे से रात नौ बजे तक) के समय हुईं।

अध्ययन के अनुसार, अपराह्न सबसे घातक रहा जिस दौरान 4,352 दुर्घटनाओं में 2,238 लोगों की जान चली गई। इसका कारण इन घंटों के दौरान सड़कों पर ‘‘अत्यधिक गर्मी, चालक की थकान, तेज गति से वाहन चलाना और वाहनों का बढ़ता भार’’ है। शाम के समय 3,254 दुर्घटनाओं में 1,945 मौतें हुईं, जिसका कारण ‘‘कार्यालय समय खत्म होने बाद यातायात जाम और सूर्यास्त के बाद दृश्यता में कमी’’ रहा।

सुबह छह बजे से अपराह्न 12 बजे तक 2,629 दुर्घटनाएं हुईं और 1,447 मौतें हुईं। हालांकि, यह अवधि अपेक्षाकृत सुरक्षित रही फिर भी इस पर स्कूल और कार्यालय प्रारंभ होने के समय यातायात का प्रभाव पड़ा। रात नौ बजे से तड़के तीन बजे के बीच 2,585 दुर्घटनाएं हुईं और 1,699 मौतें हुईं। हालांकि दुर्घटनाओं की संख्या कम थी।

लेकिन खाली सड़कों पर तेज गति से वाहन चलाने और चालक की थकान के कारण उनकी गंभीरता काफी अधिक थी। तड़के तीन बजे से सुबह छह बजे के बीच सबसे कम 506 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, लेकिन 392 मौतों के साथ, मृत्यु दर लगभग 77 प्रतिशत रहा जो कि काफी चिंताजनक है।

अध्ययन में जिक्र किया गया कि ‘‘अत्यधिक भीषण दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में चालकों द्वारा अच्छी नींद नहीं ले पाना और लंबे सफर की वजह से थकान है।’’ दुर्घटनाओं को कम करने के लिए राज्य के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ ने संवेदनशील घंटों के दौरान अभियान चलाने, पुलिस तैनात करने और गति का पता लगाने वाले उपकरणों की तैनाती बढ़ाने और नियमों को तोड़ने वालों का वास्तविक समय में पता लगाने के लिए सीसीटीवी निगरानी के बेहतर उपयोग की सिफारिश की है।

सबसे अधिक दुर्घटना वाली अवधि के दौरान आपातकालीन प्रतिक्रिया समय को कम करने, दुर्घटना होने की स्थिति में एंबुलेंस के लिए रास्ता साफ करने की व्यवस्था को मजबूत करने का भी सुझाव दिया गया है। सुबह के समय भीड़भाड़ को कम करने के लिए स्कूलों और कार्यालयों के समय पर पुनर्विचार करने की भी सलाह दी गई है।

रिपोर्ट में देर रात तक वाहन चलाने वालों के खातिर आराम करने के लिए जगह, नौपरिवहन संबंधी सहायता और 24 घटें हेल्पलाइन स्थापित करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही वाणिज्यिक चालकों की सहायता और निगरानी के लिए राजमार्ग जांच चौकी सक्रिय करने की भी सिफारिश की गई है।

अध्ययन में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घोषित लक्ष्य के अनुरूप समन्वित रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। इसमें सख्त कार्रवाई, वाणिज्यिक ट्रांसपोर्टरों के लिए बेहतर प्रशिक्षण, लापरवाही के मामलों में कानूनी कार्रवाई और सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को लक्षित करके जन जागरुकता अभियान चलाने की सिफारिश की गई है। अध्ययन का निष्कर्ष है कि सड़क सुरक्षा और जीवन की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय-आधारित, डेटा-संचालित हस्तक्षेप आवश्यक हैं।

Web Title: Uttar Pradesh road accident More than 13000 accidents 7700 deaths figures from 1 January to 20 May, know 2023 and 2024 figures here

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