उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावः 57691 ग्राम पंचायत, 826 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत में अप्रैल-मई 2026 में होंगे इलेक्शन?, मतपेटिकाओं की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी
By राजेंद्र कुमार | Updated: May 26, 2025 17:17 IST2025-05-26T17:13:22+5:302025-05-26T17:17:08+5:30
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावः राज्य निर्वाचन आयोग ने सूबे के 75 में से 67 जिलों में मतपेटिकाओं की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किया गया है.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीख का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए तैयारियों का आगाज हो चुका है. पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग सक्रिय हो गया है. और इन चुनावों को लेकर गांवों के परिसीमन का आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के अनुसार, बीते पंचायत चुनाव के बाद से प्रदेश की कई ग्राम पंचायतों तथा राजस्व ग्रामों के शहरी क्षेत्र में शामिल होने से स्थिति बदली है. इसी की वजह से शासन ने सभी जिलों से ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून तक मांगे हैं. इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग ने सूबे के 75 में से 67 जिलों में मतपेटिकाओं की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किया गया है. आयोग की इस सक्रिय के चलते ही यह कहा जा रहा है कि सरकार अगले साल अप्रैल-मई में पंचायत चुनाव कराने का फैसला कर सकती है क्योंकि जून और जुलाई में पड़ने वाली भीषण गर्मी में सरकार चुनाव कराने से बचेगी.
हर दल अकेले लड़ेगा पंचायत चुनाव
प्रदेश में पिछला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव वर्ष 2021 में हुआ था. प्रदेश में 57,691 ग्राम पंचायतें, 826 क्षेत्र पंचायतें और 75 जिला पंचायत क्षेत्र हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार, अगले साल मई में ग्राम पंचायतों और जुलाई में क्षेत्र व जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होगा. प्रदेश में अगला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में संभावित हैं. इसी आधार पर चुनाव की तैयारी है.
सरकार और राजनीतिक दल भी इसके लिए तैयार हैं. हर राजनीतिक दल इन चुनावों में अकेले की अपनी सियासी ताकत को आजमाने की तैयारी में है. एनडीए और इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने अकेले की पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं.
विधानसभा चुनावों के पहले होने वाले यह चुनाव हर राजनीतिक दल के लिए अपनी सियासी ताकत को आंकने वाला मौका है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी इन चुनावों में वोट करती है. इसलिए इसे विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है.
वैसे तो यह चुनाव सत्ता पक्ष का चुनाव माना जाता है. अक्सर यह देखा भी गया है कि जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रहती है, उसी का बोलबाला पंचायत और नगर निगम चुनाव में रहा है. लेकिन बीते पंचायत चुनावों में सूबे की योगी सरकार इस मामले में थोड़ा पिछड़ गई थी.
जिसकी सत्ता उसकी गांव में उसकी जीत
वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनाव में सूबे के 75 जिलों में कुल 3,050 जिला पंचायत सदस्य सीटों पर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवारों से ज्यादा निर्दलीयों ने जीत हुई थी. जबकि ज्यादातर ग्राम प्रधान सत्ताधारी दल के समर्थक नेता ही जीते थे. सपा और अन्य विपक्षी दलों ने इन चुनावों में योगी सरकार और भाजपा को हर सीट पर कड़ी टक्कर दी थी.
जिला पंचायत सदस्यों में सपा 759, भाजपा 768, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 319, कांग्रेस 125, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) 69, आम आदमी पार्टी 64 और 944 निर्दलीय सदस्य चुनाव जीते थे. भाजपा ने निर्दलीय सदस्यों को अपने साथ मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर ली थी. इसी तरह ब्लॉक प्रमुख सीट पर भी भाजपा ने कब्जा जमाया था.
सत्ता के प्रभाव के चलते ही भाजपा ने 75 में से 67 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था, सपा महज पांच जिले में ही अपना अध्यक्ष बना सकी थी. इसके अलावा तीन जिलों में अन्य ने अपना कब्जा जमाया था. कुल मिलकर सूबे के योगी सरकार बीते लोकसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के हाथों मिली शिकस्त को ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनावों में इस बार पहले से अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी में है.
इसी योजना के तहत सीएम योगी पंचायत चुनावों को लेकर अभी से अपनी रणनीति पर कार्य करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का रोज ऐलान कर रहे हैं. वही दूसरी तरह राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पंचायत चुनाव के लिए आवश्यक मतपेटिकाओं की खरीद के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
यह कार्रवाई आगामी चार महीनों के भीतर पूरी कर ली जाएगी. इसके लिए आवश्यक बजट का भी प्रबंध कर लिया गया है. चुनाव तैयारियों के अगले चरण में जुलाई महीने से मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत होगी.