उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान चुनाव ड्यूटी में लगे शिक्षकों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने अब इस मामले को एक बार फिर अदालत के दरवाज़े तक ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस पूरे विवाद ने तूल उस समय पकड़ा जब मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व वाली सरकार ने कोरोना से मरने वाले शिक्षकों की संख्या महज तीन बताई जबकि शिक्षक संघ का दावा है कि जिन शिक्षकों को पीठासीन अधिकारी बनाया गया उसी चुनाव के दौरान 1621 शिक्षक कोरोना के शिकार हो गए थे।
शिक्षक संघ का आरोप- कोरोना शर्तों का नहीं हुआ पालन
अध्यक्ष शर्मा के अनुसार राज्य सरकार ने ढाई लाख शिक्षकों को ड्यूटी पर तैनात किया था। अदालत के निर्देशों के बावजूद मतदान केंद्रों पर उन शर्तों का पालन नहीं किया गया जो अदालत द्वारा लगायी गयी थी। शिक्षक संघ का आरोप है कि इस कारण कई शिक्षक कोरोना की चपेट में आ गए जिनमें से 1621 मौत की नींद सो गए।
अब जब इन शिक्षकों को मुआवजा देने की मांग की जा रही है तब राज्य सरकार मारे गए शिक्षकों की संख्या को लेकर न केवल सवाल उठा रही है बल्कि उससे इनकार भी कर रही है।
शिक्षक संघ ने राज्य सरकार को वे दस्तावेज भी सौंपे हैं जिसमें कोरोना महामारी के शिकार हुए शिक्षकों के नाम, चुनाव में उनकी तैनाती की तिथि, उनके फोन नंबर और दूसरी जानकारियां हैं।
सरकार की दलील है कि चुनाव ड्यूटी के दौरान, चुनाव ड्यूटी पर जाते समय अथवा लौटते समय कोई शिक्षक कोरोना महामारी का शिकार होकर मरा है, तभी उसे इस श्रेणी में शामिल किया जायेगा और उसका परिवार राहत का हक़दार होगा।