उत्तर प्रदेश में आज से 'लव जिहाद’ पर कानून लागू, राज्यपाल ने अध्यादेश को दी मंजूरी, जानिए क्या है इस नए कानून में
By विनीत कुमार | Published: November 28, 2020 11:33 AM2020-11-28T11:33:22+5:302020-11-28T11:43:05+5:30
यूपी में धर्मांतरण पर रोक से जुड़े अध्यादेश 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को मंजूरी दे दी। इसी के साथ ये कानून आज से प्रदेश में लागू हो गया है।
उत्तर प्रदेश में कथित लव जिहाद (Love Jihad) के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से पारित अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को मंजूरी दे दी। राज्यपाल ने धर्मांतरण पर रोक से जुड़े अध्यादेश 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' (UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020) को मंजूरी दी है। इसी के साथ ये कानून आज यूपी में लागू भी हो गया है।
पिछले मंगलवार 24 नवंबर को यूपी कैबिनेट ने 'लव जिहाद' पर अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा गया था। अध्यादेश में धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
Uttar Pradesh Governor promulgates UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020 pic.twitter.com/bXLSmb07y5
— ANI UP (@ANINewsUP) November 28, 2020
साथ ही सहमति से धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले सूचना भी देनी होगी। गौरतलब है कि बिहार चुनाव के दौरान ही योगी आदित्यनाथ ने ऐसी घोषणा की थी कि 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून लाया जाएगा।
क्या है लव जिहाद के खिलाफ नए कानून में
नए कानून में विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
इस अध्यादेश के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डालकर विवाह या किसी कपट रीति से एक धर्म से दूसरे धर्म में लाने के लिए किया जा रहा हो।
कोई धर्मांतरण छल, कपट, जबरन या विवाह के जरिए नहीं किया गया है, इसके सबूत देने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले तथा करने वाले व्यक्ति पर होगी। अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद तथा 15000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25000 रुपये जुर्माने की होगी। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश के मुताबिक धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रोफार्मा पर दो माह पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है।
(भाषा इनपुट)