उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय साथ बैठकर दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुझाव दें : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 22, 2021 18:58 IST2021-09-22T18:58:18+5:302021-09-22T18:58:18+5:30

Uttar Pradesh government and Allahabad High Court sit together and give suggestions on bail pleas of convicts: Supreme Court | उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय साथ बैठकर दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुझाव दें : उच्चतम न्यायालय

उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय साथ बैठकर दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुझाव दें : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 22 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिकारियों को साथ बैठकर दोषी व्यक्तियों की अपील लंबित रहने के दौरान जमानत अर्जी के विनयमन को लेकर संयुक्त रूप से सुझाव दें।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर सुझाव नहीं दिए जाते हैं तो वह स्वयं से कुछ दिशानिर्देशों को तय करेगी।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने 20 से 25 पन्नों में सुझाव दिए हैं जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही दिए गए सुझावों के जवाबी सुझाव की तरह हैं।

उच्चतम न्यायालय को सूचित किया गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार की शाम को सुझाव जमा कराए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने कुछ कहा है और अब आपने (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) ने कुछ और कहा है। उन्होंने सुझाव दिए थे और अब आपने उनके विपरीत 20 से 25 पन्ने में सुझाव दिए हैं। ऐसे में हम कैसे तय करें कि इनमें सबसे बेहतर कौन हैं? अगर आप सुझाव नहीं दे पाते हैं तो हम स्वयं कुछ दिशानिर्देश तय करेंगे।’’

उत्तर प्रदेश का पक्ष रख रखने के लिए पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि उच्च न्यायालय के सुझावों पर विचार करने के लिए कुछ समय दिया जाए क्योंकि इसकी जानकारी अभी मिली हैं। वे साथ बैठेंगे और सबसे बेहतर सुझावों को एक साथ संकलित करेंगे।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय स्वयं कुछ निर्देश जारी कर सकता है जो उसकी उम्मीदों के अनुकूल हो और दोनों- उत्तर प्रदेश सरकर और उच्च न्यायालय की राजिस्ट्री साथ बैठकर समस्या का समाधान कर सकते हैं।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मामले को पांच अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय जघन्य अपराधों में दोषी ठहराए गए दोषियों की 18 फौजदारी अपीलों पर सुनवाई कर रहा है जिनमें उन्होंने सात या इससे अधिक साल तक जेल में रहने और उनके मामलों की नियमित सुनवाई उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध नहीं होने के आधार पर जमानत देने का अनुरोध किया है।

उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत में कुछ सुझाव दिए हैं, जैसे जघन्य और गंभीर अपराधों के मामलों में आरोपी को जमानत देने के दौरान पीड़ित और उसके परिवार के अधिकारों पर विचार किया जाना चाहिए।

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