उत्तर प्रदेश: MLC चुनाव में विपक्षी एकता के दावों की होगी परीक्षा! 20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में होगा मतदान

By राजेंद्र कुमार | Updated: May 23, 2023 19:38 IST2023-05-23T19:36:23+5:302023-05-23T19:38:08+5:30

29 मई को एमएलसी की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा और सपा ने प्रत्याशी उतारे हैं। 20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में मतदान होगा।

Uttar Pradesh Claims of opposition unity will be tested in MLC elections Voting will be held in the by-election of the Legislative Council after 20 years | उत्तर प्रदेश: MLC चुनाव में विपक्षी एकता के दावों की होगी परीक्षा! 20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में होगा मतदान

उत्तर प्रदेश: MLC चुनाव में विपक्षी एकता के दावों की होगी परीक्षा! 20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में होगा मतदान

Highlights 29 मई को एमएलसी की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा और सपा ने प्रत्याशी उतारे हैंसपा और भाजपा की बीच एमएलसी उपचुनाव में सीधी लड़ाई है20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में मतदान होगा

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में इस माह एमएलसी की दो सीटों पर उपचुनाव है। विधायकों की संख्या बल के हिसाब से इन दोनों ही सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों की जीत तय है। यह देखने सुनने के बाद भी समाजवादी पार्टी ने दो सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं।

ऐसे में अब सपा और भाजपा की बीच एमएलसी उपचुनाव में सीधी लड़ाई है। अब देखना यह है कि सपा का साथ कांग्रेस और बसपा देंगी या मूकदर्शक बनी रहेंगी। इन दलों के फैसले से राजी में विपक्ष की एकता की राह के भी संकेत मिलेंगे। जिसके चलते इस चुनाव को राज्य में विपक्षी एकता के दावों की परीक्षा बताया जा रहा है।

फिलहाल 29 मई को एमएलसी की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा और सपा ने प्रत्याशी उतारे हैं। 20 साल बाद विधान परिषद के उप चुनाव में मतदान होगा। वर्ष 2002 के उप चुनाव में रालोद के मुन्ना सिंह के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। 

29 मई को एमएलसी की जिन दो रिक्त हुई सीटों पर मतदान होना है, उसमें एक सीट भाजपा के सदस्य लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल बनाए जाने के कारण रिक्त हुई, जबकि दूसरी सीट भाजपा एमएलसी बनवारी लाल दोहरे का निधन हो जाने के कारण रिक्त हुई हैं।

भाजपा और सपा दोनों ने इन सीटों पर अपने अपने उम्मीदवार खड़े किए है। उम्मीदवारों की जीत का फैसला सामान्य बहुमत यानी 202 वोट से होगा। सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन के पास 274 विधायक हैं, जो कि जीत के लिए जरूरी नंबर से कहीं ज्यादा हैं. जबकि सपा गठबंधन के पास 118 विधायक हैं।

भाजपा से पद्मसेन चौधरी और मानवेंद्र सिंह तथा सपा से रामजतन राजभर और रामकरन निर्मल ने नामांकन दाखिल किया है। फिलहाल इस चुनाव में हार तय दिखने के बाद भी सपा ने दावेदारी का दांव खेला है और दलित, अति पिछड़ा भागीदारी के संदेश के साथ ही बसपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए असमंजस की स्थिति खड़ी कर दी है।

सपा यह साबित करने में लगी है कि वह भाजपा के खिलाफ हर हाल में लड़ाई लड़ रही है, लेकिन बाकी विपक्षी दलों का रुख साफ नहीं है। अब देखना यह है कि बसपा और कांग्रेस चुनाव में सपा के खिलाफ रहते हैं या साथ। बसपा और कांग्रेस के सपा के साथ आने पर भी नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन, विपक्षी एकता की कवायद पर उनका रुख क्या है, इसका इशारा जरूर मिलेगा। 

फिलहाल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि एमएलसी चुनाव में समर्थन के लिए अभी सपा की ओर से कोई संपर्क भी नहीं किया गया है, जबकि सपा को लेकर बसपा की सख्ती अभी बरकरार है। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है।

बसपा, कांग्रेस के साथ ही भाजपा के उन विधायकों जिन्हें लोकतंत्र में विश्वास है, उनसे भी हम सहयोग मांग रहे हैं। अब 29 मई को पता चलेगा कि कांग्रेस, बसपा और सुभासपा के विधायकों का समर्थन सपा के उम्मीदवार को मिलेगा या नहीं। 

इन दलों के विधायक अगर सपा के उम्मीदवार को अपना समर्थन देते हैं तो सूबे में विपक्षी एकता की संभावनाओं का संकेत मिलेगा और अगर वह इस मामले में मूकदर्शक बने रहेंगे तो राज्य में विपक्षी एकता की राह को मुश्किल माना जाएगा। 

 

Web Title: Uttar Pradesh Claims of opposition unity will be tested in MLC elections Voting will be held in the by-election of the Legislative Council after 20 years

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