शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए : उपराष्ट्रपति

By भाषा | Published: February 21, 2021 04:28 PM2021-02-21T16:28:38+5:302021-02-21T16:28:38+5:30

Use of mother tongue should be promoted in every field from education: Vice President | शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए : उपराष्ट्रपति

शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए : उपराष्ट्रपति

नयी दिल्ली, 21 फरवरी देश में 195 बोलियों के खतरे की स्थिति में होने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि हमारी मातृभाषाएं सिर्फ संवाद का ही माध्यम नहीं है, बल्कि वे हमारी विरासत एवं पहचान को परिभाषित करती हैं। ऐसे में हमें प्राथमिक शिक्षा से प्रशासन तक, हर क्षेत्र में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी मातृभाषा का हमारे दिलों में महत्वपूर्ण स्थान होता है और सभी उससे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में सैकड़ों भाषाएं एवं बोलियां बोली जाती हैं । 121 बोलियां ऐसी हैं जो करीब 10 हजार लोगों द्वारा बोली जाती हैं । ऐसे में ये बोलियां हमारी समृद्ध विविधतापूर्ण संस्कृति का प्रतीक है ।

वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारी भाषा और बोलियां अतीत के सामूहिक ज्ञान एवं बुद्धिमता का भंडार हैं जो हमारी विविधतापूर्ण सभ्यता की लम्बी यात्रा का परिचायक है ।

उन्होंने कहा कि हमारी मातृभाषाएं सिर्फ संवाद का ही माध्यम नहीं है बल्कि हमें हमारी विरासत से जोड़ती है, हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को परिभाषित करती हैं। ऐसे में अपने विचारों, अपने भावों को रचनात्मक रूप से अपनी भाषा में अभिव्यक्त करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मातृभाषा को लेकर खतरों के बारे में यूनेस्को ने आगाह किया है । हमें इस बात को समझना होगा कि दुनियाभर में काफी संख्या में भाषाएं/बोलियां खतरे की स्थिति का सामना कर रही हैं ।

नायडू ने कहा कि भारत में यह संख्या काफी है और 195 बोलियों के खतरे की स्थिति में होने की बात सामने आई है ।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को सुरक्षित एवं संरक्षित करने में योगदान देना चाहिए ।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने खतरे की स्थिति वाली भाषाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिये कार्यक्रम चलाया है अैर यह अच्छी पहल है ।

नायडू ने यह भी बताया कि उन्होंने सांसदों से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने में योगदान का आग्रह किया।

समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मातृभाषा को सशक्त बनाना जरूरी है लेकिन किसी भी राज्य पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जायेगी।

उन्होंने बजट में भारतीय भाषा विश्वविद्यालय एवं अनुवाद संस्थान के लिये आवंटन किये जाने का भी उल्लेख किया ।

इस कार्यक्रम को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी संबोधित किया।

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