वाशिंगटन/ऑस्टिन:अमेरिका में बीते शनिवार को गर्भपात पर बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा और देशभर में 660 से अधिक प्रदर्शनों का आयोजन करते हुए हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर गईं और टेक्सास की राजधानी ऑस्टिन में तो सुप्रीम कोर्ट तक की पैदल यात्रा की.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी महिलाओं की यह नाराजगी मुख्य रूप से पिछले महीने लागू किए गए टेक्सास के कानून के कारण है जिसने छह सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
टेक्सास गवर्नर ग्रेग अबॉट द्वारा हस्ताक्षरित कानून के तहत यह भ्रूण में हृदय संबंधी गतिविधि का पता चलने के बाद आमतौर पर लगभग छह सप्ताह में, गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है. यहां तक कि बलात्कार जैसे मामलों में भी कोई छूट नहीं दी गई है. इसके साथ ही अवैध गर्भपात कराने में मदद करने वालों पर 10 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया है.
वाशिंगटन के प्रदर्शनकारियों ने अदालत के एक सत्र के दो दिन पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में मार्च किया, जिसमें न्यायाधीश मिसिसिपी मामले पर विचार करेंगे जो उन्हें 1973 के रो बनाम वेड मामले में स्थापित गर्भपात के अधिकारों को उलटने में सक्षम बना सकता है.
यदि अदालत उसे उलट देती है, तो गर्भपात का उपयोग संविधान द्वारा संरक्षित नहीं होगा और राज्यों को इसे प्रतिबंधित करने, इसे सीमित करने या बिना किसी प्रतिबंध के अनुमति देने के लिए स्वतंत्र छोड़ देगा.
बीते 1 सितंबर को 5-4 बहुमत के फैसले में जजों ने गर्भपात और महिला स्वास्थ्य प्रदाताओं के टेक्सास कानून के प्रवर्तन को रोकने के अनुरोध को पहले ही अस्वीकार कर दिया था.
न्यूयॉर्क की रैली और मार्च में अभिनेत्री एमी शूमर और जेनिफर लॉरेंस सहित हजारों प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया.
गर्भपात अधिकार अधिवक्ताओं और अमेरिकी न्याय विभाग ने टेक्सास कानून को राज्य और संघीय अदालतों में यह तर्क देते हुए चुनौती दी है कि यह रो बनाम वेड का उल्लंघन करता है.
वहीं, संवैधानिकता को चुनौती देने के बीच ऑस्टिन में एक संघीय न्यायाधीश ने शुक्रवार को कानून को अस्थायी रूप से रोके जाने के न्याय विभाग के अनुरोध पर सुनवाई की.