उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में हुए जातीय गणना पर उठाया सवाल, पूछा- क्षेत्र में बिना जाए कैसे मिला डाटा
By एस पी सिन्हा | Published: October 8, 2023 03:10 PM2023-10-08T15:10:09+5:302023-10-08T15:10:37+5:30
कुशवाहा ने कहा कि जबतक कर्मी सामने से मुलाकात नही करेंगे तो उनको कैसे मालूम हुआ कि हमको कितना पेंशन मिलता है? अगर मान भी लिया जाए की हमारे पड़ोसी से यह पूछ लिया गया हो तो भी पूरी जानकारी ले लेना संभव नहीं है।
पटना: राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में नीतीश सरकार के द्वारा कराई गई जातीय गणना पर सवाल उठाते हुए कहा कि गणना में बहुत सारे गांव में कोई कर्मचारी गया ही नहीं तो फिर कैसे आखिर यह गणना हो गई? दूसरी बात यह है कि इसमें जो आर्थिक गणना की की बात कही गई है वो बिना किसी से मिले कैसे संभव है? जब कर्मी हमसे मिलेंगे ही नहीं तो उन्हें हमारी आर्थिक जानकारी कैसे हासिल हुई है? उसके बाबजूद अगर कहा जा रहा है कि उन्हें गणना कर लिया तो यह अपने आप में सवाल है।
कुशवाहा ने कहा कि जबतक कर्मी सामने से मुलाकात नही करेंगे तो उनको कैसे मालूम हुआ कि हमको कितना पेंशन मिलता है? अगर मान भी लिया जाए की हमारे पड़ोसी से यह पूछ लिया गया हो तो भी पूरी जानकारी ले लेना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी को कहां से मालूम होगा। इसके आलावा कहीं दूसरे जगह हमारा घर है या नहीं। पटना में यदि है तो कितनी जमीन है? मुंबई ये यदि है तो कितनी संपत्ति है? हमारे खाते में कितना पैसा है? यह हमारे बगल में रहने वाले लोगों को कैसे मालूम होगा? तो फिर आर्थिक सर्वें कैसे हो गया?
उन्होंने कहा कि मुझे तो जो लगता है कि आनन- फानन में चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह कोई बड़ी साजिश है। इससे समाज में तनाव पैदा करके लोगों को अलग करने का फिराक है। कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ने खुद ही कहा है कि अब उनके जाने का समय है। लेकिन जाने का मतलब यह नहीं होता है कि समाज को बर्बाद करके जाना है। हमको सरकार यह देखे कि उपेंद्र कुशवाहा के बारे में जो आर्थिक रिपोर्ट जमा की है, उसमें हमारे अकाउंट में कितना पैसा है? किसने उनको बताया मुझे कितना पेंशन मिलता है?
उन्होंने कहा, यह जानकारी उनके पास कहां से आई मेरा घर पटना में कितनी जमीन में है? यह जानकारी उन्हें कहां से मिली मुंबई और दिल्ली में भी मेरी संपत्ति है या नहीं है? यह बात सिर्फ मेरे बारे में नहीं बल्कि बिहार के सभी लोगों के बारे में है कि आखिर जब कोई कर्मी में गया ही नहीं तो फिर उनके पास जानकारी आई कहां से?